पिछले वित्त वर्ष 2025 में यूपीआई लेन-देन 41 फीसदी से अधिक बढ़ा। हालांकि इस तेजी के बावजूद सरकार ने जो लक्ष्य तय किया था, उससे यह करीब 7.5 फीसदी कम रहा। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के आंकड़ों के मुताबिक सरकार ने वित्त वर्ष 2025 के लिए 20 हजार करोड़ लेन-देन का लक्ष्य तय किया था लेकिन UPI के जरिए पूरे वित्त वर्ष में 18.5 हजार करोड़ लेन-देन हुए। वित्त वर्ष 2024 में यूपीआई से 13.1 हजार करोड़ लेन-देन हुए थे। इसके बाद सरकार ने वित्त वर्ष 2025 के लिए 1500 करोड़ रुपये की यूपीआई सब्सिडी का ऐलान करते हुए यूपीआई प्लेटफॉर्म पर 20 हजार करोड़ ट्रांजैक्शंस का लक्ष्य तय किया था।
FY25 में UPI से कितने रुपयों का हुआ लेन-देन?
वित्त वर्ष 2025 में यूपीआई के जरिए लेन-देन सालाना आधार पर 41 फीसदी से अधिक बढ़कर रिकॉर्ड 18.5 हजार करोड़ ट्रांजैक्शंस पर पहुंच गए। इतने ट्रांजैक्शंस में 260 लाख करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ जोकि वित्त वर्ष 2024 में 200 लाख करोड़ रुपये के लेन-देन से 30 फीसदी अधिक रहा। इसका मतलब हुआ कि वित्त वर्ष 2025 में यूपीआई ट्रांजैक्शंस 41 फीसदी बढ़ा लेकिन इसकी वैल्यू 30 फीसदी बढ़ी।
पिछला महीना मार्च यूपीआई के लिए ऐतिहासिक रहा और पहली बार ट्रांजैक्शंस की डेली वैल्यू 1 लाख करोड़ रुपये के पार चली गई। 1 मार्च को यूपीआई के जरिए 1,01,628 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ। यूपीआई इस समय सबसे तेज स्पीड से बढ़ने वाला पेमेंट्स प्लेटफॉर्म है और सभी डिजिटल पेमेंट्स में इसकी करीब 85 फीसदी हिस्सेदारी है। एनपीसीआई की वेबसाइट के मुताबिक वर्ष 2016 से अब तक 40 कंपनियों को थर्ड-पार्टी एप्लीकेशन प्रोवाइडर (TPAP) अप्रूवल मिल चुका है। अकेले वर्ष 2024 में ही 20 कंपनियों को थर्ड-पार्टी एप्लीकेशन प्रोवाइडर अप्रूवल एनपीसीआई से मिला है। ग्राहकों को यूपीआई सर्विसेज देने के लिए इस अप्रूवल की जरूरत पड़ती है।