Anant Chaturdashi 2025: यह पर्व हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और उनसे सुख, समृद्धि और सौभाग्य की वृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगते हैं। इसके अलावा यह दिन 10 दिनों के गणपति उत्सव के समापन के लिए भी जाना जाता है। इस दिन लोग भगवान गणेश की प्रतिमाओं का धूमधाम से विसर्जन करते हैं। कहीं-कहीं अनंत चतुर्दशी को अनंत चौदस भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के अलावा यमुना जी और शेषनाग की भी पूजा का विधान है। साथ ही इस दिन व्रत और पूजा करने के बाद हाथ पर 14 गांठों वाला अनंत सूत्र भी बांधा जाता है।
अनंत चतुर्दशी का पर्व भगवान विष्णु को समर्पित है और इस दिन उनके अनंत रूप की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीहरि ने इस दिन 14 लोकों की रचना की थी और इनके संरक्षण और पालन 14 रूप में अवतार लिया था। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से मनुष्य को सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। वहीं, जो भक्त 14 साल तक अनंत चतुर्दशी का व्रत करते हैं उन्हें मृत्यु के उपरांत बैकुंठ धाम में स्थान प्राप्त होता है।
इस दिन मनाई जाएगी अनंत चौदस
अनंत चतुर्दशी तिथि शुरू : 6 सितंबर, सुबह 3.14 बजे
अनंत चतुर्दशी तिथि खत्म : 7 सितंबर, मध्यरात्रि 1.41 बजे
इस दिन विष्णु ने बनाए थे ये 14 लोक
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीहरि ने अनंत चतुर्दशी के दिन 14 लोकों की रचना की थी और इसके संरक्षण के लिए 14 रूप में प्रकट हुए थे। यह लोक हैं, भूलोक, भुवलोक, स्वलोक, महलोक, जनलोक, तपोलोक, ब्रह्मलोक, अतल, वितल, सतल, रसातल, तलातल, महातल, और पताल लोक।
क्या है अनंत सूत्र और क्यों लगाते हैं इसमें 14 गांठें
अनंत चौदस के दिन भगवान विष्णु के लिए व्रत रखते हैं और पूजा करते हैं। इस दिन पूजा करने के बाद दाहिने हाथ के बाजू पर 14 गांठों वाला अनंत सूत्र बांधा जाता है। ये गांठें भगवान विष्णु द्वारा रचित 14 लोकों का प्रतीक हैं। माना जाता है 14 साल तक इस व्रत को करने और रक्षा सूत्र बांधने से बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है। अनंत चतुर्दशी के दिन बांधे गए सूत्र को अगले दिन नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है। इसे बांधने के दौरान तन और मन की शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।