Dholkal Ganesh Temple: इस मंदिर में बप्पा के दर्शन के लिए करनी पड़ती है 3-4 घंटे की ट्रेकिंग, 1000 साल से भी पुराना है इसका इतिहास

Dholkal Ganesh Temple: ये गणेश भगवान का ऐसा मंदिर है, जहां बप्पा 3,000 फीट की ऊंचाई पर विराजमान हैं। इस मंदिर में गणेश जी के दर्शन पाने के लिए भक्तों को 3-4 घंटे की ट्रकिंग करनी पड़ती है। ये मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर जिले के घने जंगलों के बीच स्थित। आइए जानें इसके बारे में

अपडेटेड Sep 03, 2025 पर 11:43 AM
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घने जंगलों के बीच 3,000 फीट की ऊंचाई में हैं ढोलकल गणेश जी।

Dholkal Ganesh Temple: गणेश भगवान का ये अनोखा मंदिर छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में घने जंगलों के बीच स्थित है। ये मंदिर देश के प्रमुख और प्रसद्ध मंदिर से बिलकुल अलग और अनोखा है। लोकआस्था और श्रद्धा के अद्भुत संगम इस मंदिर का इतिहास 1000 साल से भी ज्यादा पुराना बताया जाता है। ढोलकल गणेश जी के मंदिर पहुंचने का रास्ता काफी रोमांचक है।

श्रद्धालु फरसपाल गांव से घने जंगलों के बीच से पैदल सफर कर पहुंचते हैं। इस यात्रा में मोगरे की खुशबू वाले रास्ते हैं, चींटियों के विशाल टीले के साथ ही छोटे-छोटे झरने, प्राचीन सूर्य और देवी माता के भग्न मंदिरों के अवशेष भी दिखाई देते हैं। गणेश चतुर्थी के उत्सव में जहां महाराष्ट्र सहित देश के कई राज्यों में बप्पा के भव्य पंडाल लगाए जाते हैं और खूबसूरत मूर्तियां स्थापित की जाती हैं। वहीं, यहां ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिलता है।

यहां खुले आसमान के नीचे विराजते हैं बप्पा

देश के मुख्य और प्रसिद्ध मंदिरों की शोभा जहां देखते बनती है, वहीं ढोलकल गणेश मंदिर अपने सादापन के लिए विख्यात है। इस मंदिर में गणेश भगवान खुले आसमान के नीचे 3,000 फीट की ऊंचाई पर बैठे हैं। यहां पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को घने जंगलों के बीच होकर 7 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। इसके लिए 3-4 घंटे की ट्रेकिंग करनी पड़ती है।

11वीं शताब्दी नागवंशी राजाघराने का प्रभाव

माना जाता है कि ये मूर्ति नागवंशी राजघराने के काल में स्थापित की गई है। गणेश जी की इस मूर्ति पर पारंपरिक जनेऊ के स्थान पर नागवंश के प्रतीक सांप की आकृति तराशी गई है। यहां की स्थानीय भोगामी जनजाति खुद को नागवंश से जुड़ा हुआ मानती है।


पूरे बस्तर पर नजर रखते हैं ढोलकल गणेश

समुद्र तल से 3000 फीट की ऊंचाई पर स्थापित गणेश भगवान की ये मूर्ति ढोलक के आकार के ग्रेनाइट पत्थर से तराशी गई है। इसीलिए इसका नाम ढोलकल गणेश पड़ा है। इस मूर्ति में गणेश जी लालितासन मुद्रा में विराजमान हैं, जैसे कि मानो पूरे बस्तर के जंगलों पर उनकी निगाह हो।

इसी जगह गणेश जी का हुआ था परशुराम से सामना

स्थानीय मान्यताओं के अनुसार गणेश भगवान का परशुराम से इसी जगह पर सामना हुआ था और उनके फरसे के प्रहार से गणेश जी का एक दांत टूट गया था। इसी घटना के बाद गणेश भगवान का एक नाम एकदंत भी पड़ा था। इस घटना का प्रमाण यहां स्थित गांव के रूप में मिलता है, जिसमें परशुराम जी का एक छोटा सा मंदिर भी है।

दिसंबर से फरवरी के बीच इस तरह पहुंचे

ढोलकल गणेश मंदिर के दर्शन के लिए दिसंबर से फरवरी के बीच सर्दियों का मौसम सबसे अच्छा रहता है। इस दौरन मौसम ठीक रहता है और रास्ते भी सुरक्षित रहते हैं। हवाई मार्ग से यहां पहुंचने के लिए रायपुर और विशाखापत्तनम सबसे नजदीकी हवाई अड्डे हैं। इन दोनों जगहों से दंतेवाड़ा लगभग 400 किलोमीटर की समान दूरी पर हैं। सड़क मार्ग से यहां पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा जगदलपुर नजदीकी मिनी हवाई अड्डा है। इसकी उड़ान सेवाएं रायपुर और विशाखापत्तनम दोनों से जुड़ी हुई हैं।

विशाखापत्तनम जिला मुख्यालय दंतेवाड़ा से रेल मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। विशाखापत्तनम और दंतेवाड़ा के बीच रोज दो ट्रेनें चलती हैं। सड़क मार्ग से पहुंचने के लिए रायपुर और दंतेवाड़ा के बीच नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं। दंतेवाड़ा के लिए हैदराबाद और विशाखापत्तनम से भी नियमित बसें उपलब्ध हैं।

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First Published: Sep 03, 2025 11:43 AM

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