हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का पर्व बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार केवल धन और समृद्धि का प्रतीक नहीं है, बल्कि घर में सकारात्मक ऊर्जा, खुशहाली और सौभाग्य लाने वाला भी माना जाता है। धनतेरस पर विशेष रूप से धन के अधिपति और स्वर्ग के कोषाध्यक्ष भगवान कुबेर की पूजा का विधान है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, कुबेर जी यक्षों और धन के स्वामी हैं और उनकी एक आंख सोने की थी। कहते हैं कि कुबेर ने अपनी तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न किया और इसके परिणामस्वरूप उन्हें धन और यक्षों का स्वामी बनने का वरदान प्राप्त हुआ।
कुबेर जी की ये कथा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि ये हमें समर्पण, भक्ति और धैर्य की सीख भी देती है। धनतेरस पर उनकी पूजा और उनकी कृपा पाने के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं।
कहते हैं कि कुबेर ने भगवान शिव की कठोर तपस्या करने का संकल्प लिया। वे काशी नगरी गए और वहां मन के रत्नमय दीपों से ग्यारह रुद्रों का आह्वान कर साधना में लीन हो गए। कुबेर ने वहां शिवलिंग स्थापित किया और हजारों वर्षों तक भक्ति में लीन रहे। उनकी निष्ठा और तपस्या देखकर शिवजी ने अपनी दिव्य शक्ति उमा के भव्य रूप में कुबेर को दर्शन दिए।
जब भगवान शिव ने कुबेर को संबोधित किया, तो कुबेर अपनी आंख खोलकर शिव का तेज देखना चाहते थे। शिव का तेज सूर्य के समान था और सिर पर चंद्रमा की शीतल चांदनी बिखरी हुई थी। तेज के कारण कुबेर की आंखें बंद हो गईं। उन्होंने शिव से प्रार्थना की कि उन्हें दिव्य दृष्टि प्रदान करें, जिससे वे शिव के तेज को देख सकें। दिव्य दृष्टि मिलने के बाद कुबेर ने अपनी बड़ी आंखों से शिव की शक्ति उमा को देखा और साथ ही एक सर्वांग सुंदरी भी दिखाई दी।
कुबेर लगातार उस सुंदरी को देखते रहे, जिससे देवी उमा क्रोधित हो गईं और उनके तेज से कुबेर की आंख फूट गई। हालांकि शिव ने तुरंत शांति स्थापित की और उमा को समझाया कि कुबेर सिर्फ भक्ति और तपस्या के बल को समझने का प्रयास कर रहा था।
इस घटना के बाद भगवान शिव ने कुबेर को आशीर्वाद दिया और कहा कि उनकी तपस्या से वे प्रसन्न हैं। उन्हें वरदान मिला कि वे यक्षों और धन के अधिपति बनें। तभी से कुबेर जी को धन और संपत्ति के देवता के रूप में पूजा जाता है।
धनतेरस पर कुबेर पूजा का महत्व
धनतेरस के दिन कुबेर की पूजा करने और उनके स्थान पर पूजा सामग्री रखने से घर में धन-संपत्ति का आगमन माना जाता है। यही कारण है कि इस दिन धनलक्ष्मी और कुबेर की पूजा के साथ-साथ धनलक्ष्मी पोटली रखना शुभ माना जाता है। इससे न केवल घर में पैसों का प्रवाह बढ़ता है, बल्कि सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा भी बनी रहती है।