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Pitra Paksha 2025: दानवीर कर्ण से जुड़ी है श्राद्ध पक्ष की कहानी, जानिए पितृपक्ष का महत्व और किन चीजों को करने से बचें ?

Pitra Paksha 2025: हिंदू धार्म शास्त्रों में पितृ पक्ष का समय बहुत पवित्र माना जाता है। इस अवधि में अपने पूर्वजों के पूजा करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए पिंड दान करने का विधान है। 15-16 दिनों की ये अवधि हर साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होती है। आइए जानें इसकी कथा और महत्व

अपडेटेड Aug 30, 2025 पर 1:49 PM
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कर्ण को प्रायश्चित के लिए मृत्यु के बाद आना पड़ा था वापस

Pitra Paksha 2025: पितृ पक्ष की अवधि हर साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होती है और आश्विन मास की अमावस्या को सर्वपितृ विसर्जन के साथ सम्पन्न होती है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस अवधि में अपने पूर्वजों के लिए प्रार्थना की जाती है और उनकी आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण करने का विधान है। माना जाता है कि, पितृ पक्ष के दौरान हमारे पितृ या पूर्वज धरती पर अपने वंशजों को देखने के लिए आते हैं। इस अवधि में वंशजों द्वारा किए गए कर्मकांड से प्रसन्न होकर पितृ सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देकर वापस लौट जाते हैं। श्राद्ध पक्ष 15-16 दिनों को होता है, जो इस साल 7 सितंबर, 2025 से शुरू हो कर 21 सितंबर, 2025 को सम्पन्न होगा।

श्राद्ध का महत्व

ज्योतिष शस्त्र में बताया गया है कि सूर्य जब कन्या राशि में प्रवेश करत हैं, तब पितृ पक्ष होता है। कुंडली में पंचम भाव पूर्वजन्म के कर्मों का भाव है और इसका स्वामी सूर्य को माना गया है। इसलिए सूर्य हमारे कुल का प्रतिनिधि भी है। पितृ पक्ष में सभी पितृ अपने वंशजों को देखने धरती पर आते हैं। आश्विन मास की अमावस्या को सर्व पितृ विसर्जन के साथ इस अवधि का समापन होता है। इसमें अगर पूर्वजों का श्राद्ध नहीं किया जाए तो वे कुपित होकर अपने वंशजों को श्राप देकर वापस चले जाते है।

श्राद्ध के दौरान ये चीजें न करें

  • पितृ पक्ष के दौरान शुद्ध शाकाहार भोजन का सेवन करना चाहिए।
  • बाल नहीं काटना चाहिए।
  • इस दौरान लहसुन, प्याज जैसे तामसिक भोजन से दूर रहना चाहिए।
  • इस अवधि में कोई भी नया काम, नया घर या गाड़ी खरीदने से परहेज करना चाहिए।


कर्ण को प्रायश्चित के लिए मृत्यु के बाद आना पड़ा था वापस

हिंदू धर्म में कर्ण को सबसे बड़ा दानवीर माना गया है। इन्हीं से जुड़ी कथा है, जिससे पितृ पक्ष का संबंध प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। द्वापर युग में महाभारत युद्ध हुआ था, इस दौरान कर्ण की मृत्यु के बाद उनकी आत्मा स्वर्ग पहुंची। वहां कर्ण को खूब सोना और आभूषण दिए गए, लेकिन खाने के लिए सामान्य भोजन नहीं मिल रहा था। इस से उनकी आत्मा निराश हो गई। कर्ण ने जब इसके बारे में इंद्र देव से पूछा, तब उन्हें जो उत्तर मिला उसी के कारण पूर्वजों का श्राद्ध महत्वपूर्ण है। इंद्र देव ने कहा कि, आपने अपने पूरे जीवन में इन सभी चीजों का दान दूसरों को किया है लेकिन कभी भी अपने पूर्वजों और पुरखों के लिए कुछ नहीं किया। इसके जवाब में कर्ण ने कहा कि वह अपने पूर्वजों के बारे में नहीं जानते थे और यह सुनने के बाद, कर्ण को भगवान इंद्र ने 15 दिनों की अवधि के लिए पृथ्वी पर वापस जाने की अनुमति दी जिससे वह अपने पूर्वजों को श्राद्ध कर्म कर सके। वर्तमान युग में इन्ही 15 दिनों की अवधि को पितृ पक्ष के रूप में जाना जाता है।

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