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Rama Ekadashi 2025: आज रमा एकादशी के व्रत में पढ़ें ये कथा, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

Rama Ekadashi 2025: कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष में मनाया जाने वाला रमा एकादशी का व्रत आज किया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आज के दिन व्रत करने से हजार अश्वमेध यज्ञ के पुण्य के बराबर फल मिलता है। आइए जानते हैं, आज के व्रत में कौन सी कथा कहनी चाहिए और पूजा का शुभ मुहूर्त

अपडेटेड Oct 17, 2025 पर 9:56 AM
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रमा एकादशी का व्रत हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है।

Rama Ekadashi 2025: आज कार्तिक कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर किया जाने वाला रमा एकादशी का व्रत है। हिंदू धर्म में इस व्रत का बहुत महत्व है। माना जाता है कि इस दिन पूरे मन और विधि-विधान से पूजा करने पर एक हजार अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है। यूं तो हिंदू धर्म में पूरे चंद्र वर्ष में आने वाली सभी 24 एकादशी तिथियों का बहुत महत्व है। यह दिन भगवान श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित होता है। हर एकादशी तिथि का अलग नाम और अलग विशेषता है।

एकादशी तिथि

पंचांग के अनुसार, रमा एकादशी का व्रत हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस तिथि की शुरुआत 16 अक्टूबर को सुबह 10:35 बजे से हो चुकी है यह 17 अक्टूबर को सुबह 11.12 बजे समाप्त होगी। 17 अक्टूबर को उदया तिथि मिलने की वजह से ये व्रत आज रखा जाएगा।


पूजा के लिए शुभ मुहूर्त

अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:43 बजे से दोपहर 12:29 बजे तक रहेगा

अमृत काल मुहूर्त : सुबह 11:26 बजे से दोपहर 01:07 बजे तक रहेगा

पारण का समय : 18 अक्टूबर 2025, सुबह 06:24 बजे से 08:41 बजे तक रहेगा

पूजा विधि

  • सुबह स्नान करें और साफ, पीले या सफेद कपड़े पहनें।
  • पूजा स्थल को साफ कर गंगा जल का छिड़काव करें
  • अब दीपक जलाएं और भगवान विष्णु के व्रत का संकल्प लें।
  • पूजा शुरू करते समय भगवान विष्णु का पंचामृत से अभिषेक करें।
  • उन्हें पीला चंदन, अक्षत, मौली, पुष्प, तुलसी दल, मेवा अर्पित करें।
  • भगवान विष्णु की पूजा के बाद माता लक्ष्मी की भी विधिवत पूजा करें।
  • उन्हें कमल का फूल, गुलाब या पीले फूल अर्पित करें।
  • इसके बाद रमा एकादशी व्रत कथा सुनें।
  • अंत में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें।
  • आरती के बाद परिवार के सभी सदस्य “ॐ नमो भगवते वा सुदेसुदेवा य” या “ॐ लक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जप करें।
  • अगले दिन द्वादशी तिथि को प्रातः पूजा कर ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को दान दें और व्रत का पारण करें।

रमा एकादशी पूजा मंत्र

ॐ नमोः ना रा यणा य॥

ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेसुदेवाय धीमहि।

तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

दन्ताभये चक्रदरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया, लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

रमा एकादशी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, अत्यंत पराक्रमी और धर्मपरायण राजा मुचुकुन्द ने अपने जीवन में कई बार युद्ध और पापकर्मों से मुक्ति के लिए भगवान विष्णु की शरण ली। एक दिन देवर्षि नारद उनके दरबार में आए और उन्हें रमा एकादशी का व्रत करने की महिमा सुनाई। उन्होंने बताया कि यह व्रत भगवान विष्णु और देवी रमा (लक्ष्मी) को प्रसन्न करने वाला है, जो जीवन के समस्त कष्टों से मुक्ति देता है। राजा मुचुकुन्द ने श्रद्धा पूर्वक यह व्रत किया। इसके प्रभाव से वे न केवल पापों से मुक्त हुए, बल्कि उन्हें स्वर्गलोक की भी प्राप्ति भी हुई। कहा जाता है कि इसी दिन देवी लक्ष्मी स्वयं विष्णु के साथ पृथ्वी पर आती हैं और भक्तों को धन, वैभव और सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं।

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