Chip Revolution in India: पहली बार टेलीकॉम सिस्टम में लगी स्वदेशी चिप, भारत की ऊंची छलांग, मिला खास सर्टिफिकेट

Chip Revolution: वर्षों से स्मार्टफोन से लेकर टेलीकॉम टॉवर से कार और डेटा सेंटर्स तक चिप के लिए भारत आयात पर निर्भर है। हालांकि अब भारत ने इसे लेकर एक बड़ी छलांग लगाई है। इसे लेकर टीईसी से पहली बार ऐसे टेलीकॉम सिस्टम को मंजूरी मिली है जिसकी चिप पूरी तरह से भारत में बनी है। जानिए इस मंजूरी का मतलब क्या है, चिप मार्केट में भारत की अभी क्या स्थिति है और आगे का रास्ता कैसा है?

अपडेटेड Sep 06, 2025 पर 2:15 PM
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Chip Revolution in India: टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग सेंटर (TEC) से पहली बार ऐसे टेलीकॉम सिस्टम को मंजूरी मिली है जिसकी चिप पूरी तरह से भारत में बनी है। यह एक ऐसी उपलब्धि है, जिसे चिप के मामले में भारत की महत्वाकांक्षा को लेकर अहम टर्निंग प्वाइंट माना जा रहा है।

Chip Revolution in India: टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग सेंटर (TEC) से पहली बार ऐसे टेलीकॉम सिस्टम को मंजूरी मिली है जिसकी चिप पूरी तरह से भारत में बनी है। यह एक ऐसी उपलब्धि है, जिसे चिप के मामले में भारत की महत्वाकांक्षा को लेकर अहम टर्निंग प्वाइंट माना जा रहा है। इस उपलब्धि का ऐलान आईटी मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने X (पूर्व नाम Twitter) पर किया और देश की सेमीकंडक्टर स्टोरी में बड़ी छलांग बताया। उन्होंने कहा कि टीईसी की मंजूरी से साबित होता है कि भारत में डिजाइन की हुई और बनी हुई चिप अब जटिल टेलीकॉम सिस्टम्स को पावर देने में भी सक्षम है और इंटरनेशनल लेवल के क्वालिटी बेंचमार्क के हिसाब से है।

TEC की मंजूरी का क्या है मतलब?

टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग सेंटर (TEC) से सर्टिफिकेट मिलना सिर्फ एक नियामकीय मुहर (रेगुलेटरी स्टाम्प) ही नहीं है बल्कि इससे कहीं ज्यादा है। यह डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस के अधिकारियों का यह आश्वासन है कि प्रोडक्ट परफॉरमेंस और सुरक्षा के सख्त मानकों पर खरा है। देश के डिजिटल इकॉनमी की रीढ़ टेलीकॉम है और इसे बढ़ावा मिलना काफी अहम है। टीईसी का सर्टिफिकेट मिलने से भारत में बनी चिप की वैश्विक चिप से टक्कर होगी जिससे घरेलू और निर्यात दोनों बाजारों में इसके इस्तेमाल के दरवाजे खुलेंगे।


कितना अहम है माइलस्टोन?

वर्षों से स्मार्टफोन से लेकर टेलीकॉम टॉवर से कार और डेटा सेंटर्स तक चिप के लिए भारत आयात पर निर्भर है। टीईसी की मंजूरी इस निर्भरता को कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में सरकार के 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' लक्ष्यों को लेकर उन्नति का संकेत दे रहा है। भारत ने हालांकि अभी तक एक पूर्ण-स्तरीय उन्नत फैक्ट्री चालू नहीं की है, लेकिन चिप के डिजाइन, असेंबली और परीक्षण की क्षमता लगातार बढ़ रही है। अभी फोकस 28nm से 65nm रेंज के मेच्योर नोड्स बनाने पर है जो एडवांस तो नहीं लेकिन टेलीकॉम, ऑटोमोटिव और इंडस्ट्रियल एप्लीकेशंस के लिए अहम बने हुए हैं।

चिप मार्केट में भारत की अभी क्या है स्थिति और आगे कैसा है रास्ता?

वैश्विक कंपनियां एआई और स्मार्टफोन में इस्तेमाल होने वाले सब-5nm चिप्स में महारत हासिल करने की होड़ में लगी हैं। हालांकि भारत ने एक अलग रास्ता अपनाया। अभी इसका फोकस मेच्योर नोड्स पर है। भारत की कोशिश सप्लाई चेन की उस कमी को दूर करने की है जो हाल ही में आई शॉर्टेज के दौरान सामने आई है। Bastion Research के हालिया एनालिसिस के मुताबिक भारत की रणनीति एडवांस्ड नोड्स में टीएसएमसी या सैमसंग जैसी दिग्गज कंपनियों से सीधी भिड़ंत की बजाय वर्ल्ड-क्लास इंटीग्रेशन सर्विसेज और स्केलेबल सॉल्यूशंस मुहैया कराने की है।

रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए भारत के पास पर्याप्त टैलेंट है और इंजीनियरिंगभी है और यह तेजी से विस्तार की तरफ बढ़ रहा है। अब आगे की बात करें तो टीईसी सर्टिफिकेट प्रतीकात्मक और व्यावहारिक दोनों है। यह देश के चिप की क्वालिटी को प्रमाणित करती है और घरेलू टेलीकॉम ऑपरेटर्स और इक्विपमेंट बनाने वाली कंपनियों को स्थानीय तौर पर ही चिप लेने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

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Jeevan Deep Vishawakarma

Jeevan Deep Vishawakarma

First Published: Sep 06, 2025 2:14 PM

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