आनंद जिले के छोटे से धरमज गांव ने देश में ग्रामीण विकास और समृद्धि की एक मिसाल कायम की है। लगभग 11,333 लोगों की आबादी वाला यह गांव करीब 17 हेक्टेयर में फैला है, लेकिन इसकी आर्थिक ताकत इसकी सीमाओं से कई गुना बड़ी है। धरमज में 11 बैंक शाखाएं हैं, जिनमें जमा राशि ₹1000 करोड़ से अधिक है, जो इसे निवेशकों के लिए आकर्षक केंद्र बनाती हैं। यह गांव खास इसलिए भी है क्योंकि इसके लगभग हर परिवार का कोई सदस्य विदेशों में रहकर काम करता है, लेकिन फिर भी वह अपने गृहनगर से गहरे जुड़े हैं।
धरमज की कहानी 1895 में शुरू हुई, जब यहां के कुछ युवाओं ने विदेश में जाकर बेहतर जिन्दगी की तलाश की, और वहां से कमाए पैसा और संसाधन गांव के विकास में लगाए। आज ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अफ्रीका सहित कई देशों में धरमज के हजारों परिवार रहते हैं। वर्ष 2007 में गांव ने एक अनूठा प्रयोग शुरू किया जिससे विदेशों में बसे यह परिवार भी अपने गांव के विकास में सक्रिय रूप से जुड़ सके। इस प्रयास का परिणाम साफ नजर आता है सड़कें साफ-सुथरी हैं, कहीं भी कचरा नहीं, और पूरे गांव में स्वच्छता का अद्भुत माहौल है।
गांव में आधुनिक सुविधाएं भी उपलब्ध हैं, जैसे सूर्जबा पार्क में स्विमिंग पूल, बोटिंग और बागवानी के लिए सुंदर स्थल। यहां के चरवाहनों के लिए 50 बीघा जमीन घास उगाने के लिए उपलब्ध है, जो साल भर पशुओं के लिए हरा चारा सुनिश्चित करता है। 1972 से चले आ रहे अंडरग्राउंड ड्रेनेज सिस्टम ने गांव में स्वच्छता को बनाए रखा है, जो कई बड़े शहरों में अभी भी समस्या है।
धरमज की इस समृद्धि का प्रतीक यहां की सड़कों पर खड़ी मर्सिडीज, बीएमडब्ल्यू और ऑडी जैसी लग्जरी कारें हैं। गांव की आर्थिक समृद्धि न केवल स्थानीय व्यवसाय और कृषि से है, बल्कि विदेशी निवेश से भी है, जो गांव को बैंकिंग और व्यापारी केंद्र में तब्दील कर चुका है।
गांव का पंचायत शासन भी उत्कृष्ट है, जहां न केवल स्थानीय बल्कि विदेशों में बसे परिवार भी अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं और नियमित रुप से समर्थन करते हैं। सालाना 'धरमज दिवस' के अवसर पर बाहर बसे सभी निवासी अपने गांव में लौटते हैं और अपने मिलजुल कर गांव के सामाजिक और आर्थिक विकास का जश्न मनाते हैं।