दीवाली का त्योहार रोशनी और खुशियों का प्रतीक है, लेकिन पटाखों से निकलने वाला जहरीला धुआं और तेज आवाज कुछ लोगों के लिए गंभीर स्वास्थ्य खतरा साबित हो सकता है। चमक और उत्सव के बीच कई ऐसी संवेदनशील स्थितियां हैं जिनमें पटाखों से बनने वाला प्रदूषण जानलेवा हो सकता है।
सांस से जुड़ी बीमारियों वाले लोग
अस्थमा, ब्रोंकाइटिस या सीओपीडी (COPD) के मरीज पटाखों के धुएं से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। इस धुएं में मौजूद PM2.5 कण और सल्फर डाइऑक्साइड जैसी गैसें फेफड़ों पर गहरा असर डालती हैं। ऐसे व्यक्तियों में सांस लेने में कठिनाई, सीने में जलन और अस्थमा अटैक जैसी स्थितियां पैदा हो सकती हैं।
बच्चों के फेफड़े पूरी तरह विकसित नहीं होते, इसलिए पटाखों का प्रदूषण उनके लिए कई गुना ज्यादा खतरनाक होता है। उनके इम्यून सिस्टम पर इसका सीधा असर पड़ता है। साथ ही, अचानक होने वाला तेज शोर उनके कानों और मानसिक स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे नींद न आने या बेचैनी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
पटाखों का धुआं गर्भवती महिलाओं और गर्भ में पल रहे शिशु के लिए विषैला असर कर सकता है। धुएं में मौजूद रसायन बच्चे के विकास को प्रभावित करते हैं, जबकि तेज आवाज मां के ब्लड प्रेशर और तनाव के स्तर को बढ़ा देती है। डॉक्टर सलाह देते हैं कि गर्भवती महिलाएं पटाखों के धुएं और शोर से दूर रहें।
हार्ट पेशेंट्स और बुजुर्ग
तेज आवाज या अचानक धमाका शरीर में स्ट्रेस हार्मोन के स्तर को बढ़ा देता है। हार्ट पेशेंट्स के लिए यह ब्लड प्रेशर और हृदय गति में अचानक परिवर्तन का कारण बन सकता है, जिससे हार्ट अटैक या स्ट्रोक तक का खतरा बढ़ सकता है। वहीं, बुजुर्ग जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पहले से कम होती है, वे प्रदूषण और तनाव से जल्दी प्रभावित होते हैं।
सुरक्षित दीवाली मनाने के उपाय
अगर आपके घर में कोई व्यक्ति इन श्रेणियों में आता है, तो दीवाली के दौरान कुछ सावधानियां जरूरी हैं
- खिड़कियां-दरवाजे बंद रखें और बाहर निकलने से बचें।
- जरूरत पड़ने पर N-95 मास्क का उपयोग करें।
- आस-पास के लोगों को पटाखे जलाने से पहले संवेदनशील लोगों की सुरक्षा का ध्यान रखने के लिए प्रेरित करें।
इस दीवाली, रोशनी और खुशियों के साथ जिम्मेदारी भी साझा करें ताकि त्योहार किसी के लिए परेशानी का कारण न बने।