International Literacy Day 2025: आज के दिन 1966 में हुई थी साक्षरता दिवस की घोषणा, जानें इसका इतिहास और महत्व

International Literacy Day 2025: अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस की घोषणा 1966 में आज ही के दिन हुई थी ये खास दिन दुनिया में शिक्षा के प्रसार के लिए समर्पित किया गया है। इस साल की थीम ‘डिजिटल युग में साक्षरता को बढ़ावा देना’ रखी गई है। आइए जानें इसके इतिहास के बारे में

अपडेटेड Sep 08, 2025 पर 6:47 PM
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यूनेस्को ने 1966 में 8 सितंबर को इंटरनेशनल लिटरेसी डे के रूप में मनाने की घोषणा की थी।

International Literacy Day 2025: अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस हर साल 8 सितंबर के दिन मनाया जाता है। यह दिन पूरी दुनिया में शिक्षा के महत्व को समझाने और इसे आगे बढ़ाने के प्रयास के लिए समर्पित है। पहली बार 1966 में यूनेस्को ने 8 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। इसमें शिक्षा को सभी का अधिकार बनाने की बात कही गई थी। इसका महत्व आज भी कम नहीं हुआ है। दुनिया में आज भी एक बहुत बड़ी आबादी है, जो पढ़ने और लिखने की बुनियादी क्षमता से महरूम है। भारत में ही एक बड़ी आबादी अब भी है, जो पढ़ना-लिखना नहीं जानती है। इस साल विश्व साक्षरता दिवस की थीम ‘डिजिटल युग में साक्षरता को बढ़ावा देना’ रखी गई है। इसका तात्पर्य है कि आज के दौर में डिजिटल ज्ञान के बीच में परंपरिक शिक्षा का महत्व कम नहीं होता है। आइए जानें इंटरनेशनल लिटरेसी डे की शुरुआत कब और कैसे हुई।

अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस कब और कैसे शुरू हुआ?

1965 में ईरान की राजधानी तेहरान में दुनियाभर के शिक्षा मंत्रियों का सम्मेलन आयोजित हुआ था, जिसमें निरक्षरता के खिलाफ एकजुट होने की दिशा में सहमति बनी थी। इसके बाद यूनेस्को ने अक्टूबर 1966 में अपनी 14वीं जनरल कॉन्फ्रेंस में पहली बार 8 सितंबर की तारीख को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस को घोषित किया था। इसे पहली बार 1967 में मनाया गया था। 8 सितंबर की तारीख यूनेस्को के उस प्रयास से जुड़ा है, जब पूरे विश्व ने एकजुट हो कर शिक्षा की अहमियत को माना था।

रोचक है इस साल की थीम

इस साल इंटरनेशनल लिटरेसी डे की थीम ‘डिजिटल युग में साक्षरता को बढ़ावा देना’ (Promoting literacy in the digital era) रखी गई है। आज के दौर में इंटरनेशनल लिटरेसी डे की थीम शिक्षा की अहमियत को बरकरार रखने की सीख देती है। इस थीम का मतलब ये है कि आज के डिजिटल युग में सिर्फ पढ़ना-लिखना ही काफी नहीं है, बल्कि लोगों को डिजिटल उपकरणों और ऑनलाइन जानकारी को समझने और उसका सुरक्षित उपयोग करने में भी सक्षम होना चाहिए।


भारत ने तय किया है लंबा सफर

साक्षरता के मामले में भारत ने काफी लंबा सफर तय किया है। 1947 में जब देश आजाद हुआ था, तब हमारी साक्षरता दर महज 14% हुआ करती थी। यह अब 7 साल या उससे ऊपर के लोगों के लिए बढ़ कर 2025 में 80.9% हो गई है। हालांकि, देश के कई क्षेत्र में अब भी शिक्षा की रोशनी पूरी तरह से नहीं पहुंच पाई है।

मिजोरम है देश का पूर्ण साक्षर राज्य

देश का ये पूर्वोत्तरी राज्या पूर्ण साक्षर राज्य बन गया है। यहां 2025 में साक्षरता दर 98.2% पर पहुंच गई है। इस मामले में लक्षद्वीप 97.3% लिटरेसी रेट के साथ दूसरे स्थान पर है, जबकि 95.7% साक्षरता दर के साथ नगालैंड ने तीसरे स्थान पर कब्जा किया है।

राष्ट्रीय औसत से नीचे हैं इन राज्यों की साक्षरता दर

आंध्र प्रदेश में जहां साक्षरता दर 72.6%, वहीं बिहार में ये 74.3% है। इसके अलावा यूपी, एमपी, राजस्थान, झारखंड और तेलंगाना में साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत से भी नीचे है।

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First Published: Sep 08, 2025 4:53 PM

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