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ऑस्ट्रेलिया के बाद अब भारत में दिखी ये ‘शापित’ मछली, दुनिया में जताई जा रही प्रलय और तबाही की आशंका

विज्ञान की भाषा में इस मछली को रेगलेकस ग्लेसने (Regalecus glesne) कहा जाता है, जिसे आमतौर पर ओरफ़िश के नाम से जाना जाता है। यह मछली समुद्र की सतह से करीब 200 से 1,000 मीटर नीचे गहराई में पाई जाती है और इसे जीवित हालत में सतह पर बहुत ही कम देखा गया है

अपडेटेड Jun 07, 2025 पर 4:54 PM
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गहरे समुद्र में पाई जाने वाली दुर्लभ ओरफिश को भारत में देखा गया है।

दुनिया में इस हफ्ते दो घटनाओं ने प्रलय की आशंकाओं को जन्म दे दिया है। गहरे समुद्र में पाई जाने वाली दुर्लभ ओरफिश, जिसे "प्रलय मछली" का उपनाम दिया गया है, उसे भारत के तमिलनाडु और तस्मानिया के समुद्र तटों पर देखा गया है।  इसकी उपस्थिति ने जिज्ञासा और चिंता दोनों बढ़ा दी है, क्योंकि कई लोग इसे प्राकृतिक आपदाओं का संकेत मानते हैं।

इस हफ्ते, "ओरफिश" जिसे कई लोग "विनाश की मछली" भी कहते हैं तस्मानिया के तट और भारत के तमिलनाडु के पास देखी गई। यह मछली आमतौर पर समुद्र की गहराई में पाई जाती है और सतह पर बहुत ही कम दिखाई देती है। पारंपरिक लोककथाओं में इसे प्राकृतिक आपदाओं, जैसे भूकंप या सुनामी का संकेत माना जाता रहा है। हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी तक इसका किसी आपदा से सीधा संबंध साबित नहीं हुआ है।

तस्मानिया में दिखी रहस्यमयी मछली


सोमवार को तस्मानिया के पश्चिमी तट पर एक असामान्य मछली समुद्र से बहकर आई। समुद्र तट पर इतनी लंबी और साँप जैसी मछली को देखकर स्थानीय लोग हैरान रह गए। इसकी अनोखी और विदेशी जैसी बनावट ने सभी का ध्यान खींचा और तरह-तरह की अटकलें लगने लगीं। यह मछली थी "ओरफ़िश", जिसे दिखना लोग शुभ नहीं मानते हैं। इसकी लंबाई 30 फीट तक हो सकती है, इसका शरीर चांदी जैसा चमकदार होता है और सिर पर लाल रंग का एक फिन (पंख) होता है। हालांकि ये मछलियां आमतौर पर समुद्र की गहराई में पाई जाती हैं, लेकिन जब ये सतह या उथले पानी में दिखाई देती हैं तो अक्सर लोगों में चिंता और रहस्य का माहौल बन जाता है।

तमिलनाडु में भी पकड़ी गई ये मछली

तस्मानिया की घटना के कुछ ही समय बाद, तमिलनाडु के मछुआरों ने गहरे समुद्र में एक और रहस्यमयी मछली पकड़ी। यह मछली अपने बड़े आकार, धातु जैसी चमकदार त्वचा और सिर पर लाल रंग की शिखा के कारण बेहद अलग और आकर्षक दिख रही थी। इस अनोखी मछली को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग तट पर इकट्ठा हो गए। इसके साथ ही लोगों ने इसे लेकर शुभ-अशुभ संकेतों और लोककथाओं की बातें भी साझा कीं।

विज्ञान की भाषा में इस मछली को रेगलेकस ग्लेसने (Regalecus glesne) कहा जाता है, जिसे आमतौर पर ओरफ़िश के नाम से जाना जाता है। यह मछली समुद्र की सतह से करीब 200 से 1,000 मीटर नीचे गहराई में पाई जाती है और इसे जीवित हालत में सतह पर बहुत ही कम देखा गया है। इसकी दुर्लभता और असामान्य रूप-रंग के कारण इसे लेकर कई मिथक और डर जुड़े हुए हैं।

लोग जताने लगे ये आशंका

क्षेत्र के लोगों को याद है कि बड़े भूकंपों से पहले भी ओरफिश दिखाई दी थी। सबसे ज़्यादा चर्चा 2011 की उस घटना की होती है, जब जापान में विनाशकारी भूकंप और सुनामी आई थी और उससे पहले कई ओरफिश समुद्र तटों पर देखी गई थीं। ऐसी ही घटनाएं मैक्सिको में भी सामने आई हैं, जहां शक्तिशाली भूकंपों से पहले ओरफिश के दिखने की रिपोर्ट मिल चुकी है। इन किस्सों के कारण लोगों में यह विश्वास फैल गया है कि ओरफिश का दिखना किसी बड़ी प्राकृतिक आपदा का संकेत हो सकता है।

 विज्ञान और अंधविश्वास

जापानी लोककथाओं में माना जाता है कि ओरफिश समुद्र के नीचे भूकंप के झटकों की वजह से सतह पर आ जाती है। इसी वजह से बहुत से लोग आज भी इसे किसी अनहोनी या आपदा का संकेत मानते हैं। हालांकि, वैज्ञानिकों को इस विश्वास का समर्थन करने वाला कोई ठोस सबूत नहीं मिला है। समुद्री जीवविज्ञानियों का कहना है कि ओरफिश के सतह के पास आने की वजह पानी के तापमान में बदलाव, बीमारी या चोट भी हो सकते हैं। साल 2019 में किए गए एक सर्वे में भी ओरफिश के दिखने और भूकंप के बीच कोई सीधा संबंध नहीं पाया गया।

इसके बावजूद, जब भी ओरफिश किनारे पर देखी जाती है, तो वह लोगों का ध्यान खींचती है और एक अनजानी बेचैनी और उत्सुकता पैदा कर देती है। इसमें हैरानी, रहस्य और डर – तीनों का अजीब सा मेल होता है। भले ही यह एक भटकी हुई मछली हो या किसी गहरे रहस्य का संकेत, समुद्र की गहराइयों से जुड़ी ये पहेलियाँ हमेशा रोमांचक और रहस्यमयी रही हैं।

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