Raksha Bandhan 2025: बहनें राखी बांधते समय करें इस मंत्र का जप, मिलेगा भाई को लंबी उम्र का आशीर्वाद

Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन हिंदू धर्म का पवित्र त्योहार है, जो भाई-बहन के प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। सावन पूर्णिमा को मनाया जाने वाला ये पर्व रिश्तों में मिठास घोलता है। इस दिन बहनें भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसकी लंबी उम्र की दुआ करती हैं और भाई जीवनभर उसकी रक्षा का वचन देता है

अपडेटेड Aug 09, 2025 पर 8:32 AM
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Raksha Bandhan 2025: इस साल रक्षाबंधन का पर्व 24 साल बाद विशेष योग लेकर आया है।

रक्षाबंधन हिंदू धर्म का एक खास त्योहार है। यह भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है। इस दिन दोनों एक-दूसरे के प्रति अपने रिश्ते को मजबूत करते हैं। सावन पूर्णिमा को यह पर्व मनाया जाता है। बहन भाई की कलाई पर राखी बांधती है। साथ ही उसकी लंबी उम्र और खुशियों की दुआ करती है। भाई बहन की रक्षा का वचन देता है। यह परंपरा सालों से चली आ रही है। इसमें प्यार और अपनापन झलकता है। रक्षाबंधन का माहौल बेहद खास होता है। घरों में सजावट होती है। रिश्तों में मिठास घुल जाती है। यह त्योहार सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि भावनाओं का संगम है।

भाई-बहन के बीच का यह बंधन अनमोल है। रक्षाबंधन पर परिवार में उत्साह और खुशी का माहौल रहता है। यह पर्व रिश्तों में प्यार, विश्वास और सम्मान को और गहरा करता है। यही वजह है कि इसे बड़े उत्साह से मनाया जाता है।

शास्त्रों में रक्षाबंधन का महत्व


धार्मिक ग्रंथों में रक्षाबंधन को विशेष महत्व दिया गया है। ये सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि आस्था और संस्कार का मेल है। शास्त्रों में राखी बांधने के लिए एक विशेष मंत्र भी बताया गया है, जिसे बहनों को जरूर बोलना चाहिए

येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल, तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:"

इस मंत्र का अर्थ है, “जिस रक्षासूत्र से महाबली राजा बलि को बांधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांध रही हूं। हे रक्षा, तुम कभी ढीली न होना।” ये मंत्र सुरक्षा और अटूट बंधन का प्रतीक माना जाता है।

राखी बांधने की सही विधि

रक्षाबंधन के दिन बहनें सुबह स्नान करने के बाद भगवान गणेश और भगवान कृष्ण को राखी अर्पित करती हैं। इसके बाद भाई को राखी बांधने की प्रक्रिया शुरू होती है।

राखी बांधने से पहले भाई-बहन दोनों अपने सिर को ढक लें। बहन चुन्नी से और भाई रुमाल से सिर ढकता है।

बहन भाई के हाथ में इलायची और अक्षत (चावल) रखती है, जिसे भाई मुट्ठी में बंद कर लेता है।

फिर बहन भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधती है और उसके हाथ से इलायची व अक्षत लेकर घर की तिजोरी में लाल कपड़े में बांधकर रख देती है।

इसके बाद मिठाई खिलाई जाती है और आरती उतारी जाती है।

राखी बांधते समय मंत्र का उच्चारण करना जरूरी माना गया है।

मान्यता है कि भाई को कम से कम 21 दिन या जन्माष्टमी तक राखी अपनी कलाई से नहीं उतारनी चाहिए।

रक्षाबंधन 2025 क्यों है खास?

इस साल रक्षाबंधन का पर्व 24 साल बाद विशेष योग लेकर आया है। 9 अगस्त 2025 को इस दिन बुधादित्य राजयोग, गजलक्ष्मी राजयोग, सर्वार्थ सिद्धि योग और सौभाग्य योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। ऐसा शुभ समय पिछली बार साल 2001 में आया था। ज्योतिष के अनुसार, इन योगों में किया गया कोई भी शुभ कार्य फलदायी और दीर्घकालिक होता है, इसलिए इस साल राखी का महत्व और बढ़ गया है।

प्यार, आस्था का संगम

रक्षाबंधन सिर्फ भाई-बहन का त्योहार नहीं, बल्कि ये रिश्तों में विश्वास, स्नेह और एक-दूसरे की सुरक्षा के वचन का उत्सव है। 2025 में बन रहे ये दुर्लभ योग इस दिन को और अधिक पावन और मंगलकारी बना रहे हैं, जिससे राखी बांधने की परंपरा का महत्व कई गुना बढ़ जाएगा।

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First Published: Aug 09, 2025 8:20 AM

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