Amir Khan Muttaqi: अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी 9 से 16 अक्टूबर तक आठ दिवसीय भारत यात्रा पर हैं। अधिकारियों के अनुसार, यह दौरा नई दिल्ली और काबुल के बीच संबंधों को नए सिरे से मजबूत करने के उद्देश्य से हो रहा है। कई वर्षों के तनावपूर्ण महौल के बाद दोनों देशों के बीच जुड़ाव का एक नया अध्याय शुरू करना है। अफगान सूत्रों ने इस यात्रा को एक 'बड़ा राजनयिक कदम' बताया है।
एस. जयशंकर और NSA अजीत डोभाल से मिलेंगे मुत्तकी
मुत्तकी इस दौरान अपने भारतीय समकक्ष विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात करेंगे और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के साथ भी चर्चा कर सकते हैं। मुत्तकी की भारत यात्रा आधिकारिक चैनलों को फिर से खोलने की भारत की इच्छा को दिखाती है। दोनों देशों के बीच बातचीत का एक प्रमुख घटक आतंकवाद विरोधी सहयोग होगा। भारतीय अधिकारी क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए तालिबान का समर्थन प्राप्त करने के इच्छुक हैं।
दोनों पक्षों के बीच पूर्ण राजनयिक प्रतिनिधित्व बहाल करने पर भी चर्चा होने की भी संभावना है, जिसमें दोनों राजधानियों में राजदूतों की नियुक्ति और वाणिज्य दूतावास सेवाओं का विस्तार शामिल है। व्यापक सुरक्षा संवाद में 'पाकिस्तान-अमेरिका के मजबूत होते संबंधों के निहितार्थ' और क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी सहयोग शामिल होगा।
व्यापार और मानवीय सहायता पर हो सकती है बातचीत
द्विपक्षीय चर्चाओं का एक बड़ा हिस्सा व्यापार और कनेक्टिविटी पर केंद्रित रहने की उम्मीद है। दोनों पक्ष आवागमन बाधाओं को कम करने और आवश्यक वस्तुओं, कपड़ा तथा खाद्य उत्पादों में व्यापार बढ़ाने के लिए नए व्यापार गलियारों की तलाश करेंगे।व्यापारियों, परिवारों और मेडिकल यात्रियों के लिए वीजा कोटा के विस्तार पर भी बात होगी। भारत अफगान छात्रों के लिए तकनीकी और व्यावसायिक क्षेत्रों में स्कॉलरशिप भी बढ़ा सकता है, जो भारत के पीपल-टू-पीपल संपर्क के लक्ष्य को दर्शाता है।
इसके साथ ही अफगानिस्तान स्वास्थ्य, जल, बिजली और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में अधूरे भारतीय-वित्त पोषित विकास परियोजनाओं को पूरा करने और नए प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए भारत से सहायता चाहता है।
चाबहार पोर्ट पर अमेरिकी प्रतिबंध पर ढील चाहता है अफगान
मुत्तकी के एजेंडे में चाबहार पोर्ट की स्थिति एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। दरअसल अमेरिका द्वारा हाल ही में इस बंदरगाह पर दी गई छूट वापस लेने से अफगानिस्तान के व्यापारिक हित पर संकट मंडराने लगा है। काबुल उम्मीद कर रहा है कि नई दिल्ली अपने कूटनीतिक प्रभाव का उपयोग करके अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट दिलाने में मदद करे। यह अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक अफगानिस्तान की पहुंच के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।