अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वॉर बढ़ता दिख रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 1 नवंबर, 2025 से चीन से अमेरिका बाजारों में आने वाले सभी सामानों पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने रेयर अर्थ मिनरल्स के एक्सपोर्ट पर चीन के नए प्रतिबंध लगाने के फैसले के बाद यह ऐलान किया है। रेयर अर्थ मिनरल्स इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर डिफेंस इक्विपमेंट के उत्पादन के लिए जरूरी हैं। अभी चीन के ज्यादातर प्रोडक्ट्स पर 30 फीसदी का बेसलाइन टैरिफ लागू होता है। 100 फीसदी टैरिफ लगने पर अमेरिका में चीन के प्रोडक्ट्स काफी महंगे हो जाएंगे। इससे अमेरिका चीन के रिश्तों को बड़ा झटका लगेगा। न्यूयॉर्क टाइम्स ने यह खबर दी है।
अमेरिका ने सेक्टर के हिसाब से लगाया टैरिफ
Donald Trump ने टैरिफ लगाने के लिए ज्यादातर फेडरल कानून के सेक्शन 232 का इस्तेमाल किया है। इस सेक्शन के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में ट्रंप ने सेक्टर के हिसाब से टैरिफ लगाए हैं। स्टील और एल्युमीनियम पर 50 फीसदी टैरिफ, ऑटो और ऑटो पार्ट्स पर 25 फीसदी टैरिफ और कॉपर पार्ट्स पर 50 फीसदी टैरिफ लगाया गया है। एआई डेटा सेंटर्स में कॉपर की ज्यादा डिमांड है। इसके अलावा अमेरिकी सरकार ने हेवी-ड्यूटी ट्रक, फर्नीचर, टिंबर, कैबिनेट्स और ब्रांडेड दवाओं पर भी टैरिफ का ऐलान किया है। इससे यह संकेत मिलता है कि अमेरिकी सरकार टैरिफ लगाने में देश से ज्यादा सेक्टर विशेष को ध्यान में रख रही है।
टैरिफ के लिए 1970 के दशक के कानून का किया इस्तेमाल
अमेरिका सरकार ने टैरिफ लगाने के लिए 1970 के दशक के इमर्जेंसी इकोनॉमिक लॉ का भी इस्तेमाल किया है। इससे पहले इस लॉ का इस्तेमाल टैरिफ लगाने के लिए नहीं किया गया था। अमेरिका ने करीब 90 देशों पर टैरिफ लगाया है। टैरिफ के रेट्स 15 से लेकर 50 फीसदी तक हैं। ट्रांसशिपमेंट के मामलों पर पेनाल्टी लगाई गई है। ट्रांसशिपमेंट का मतलब किसी तीसरे देश के जरिए अमेरिको गुड्स का निर्यात है। अमेरिका ने जिन देशों पर सबसे ज्यादा टैरिफ लगाया है, उनमें भारत और ब्राजील शामिल हैं। ब्राजील पर 50 फीसदी टैरिफ लगाया गया है, जबकि भारत पर 25 फीसदी की पेनाल्टी सहित कुल 50 फीसदी टैरिफ लगाया गया है।
टैरिफ के बीच कई देशों से ट्रेड डील पर हस्ताक्षर
अमेरिका ने टैरिफ के बीच कई देशों के साथ ट्रेड डील भी की है। इनमें यूरोपीय यूनियन, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन, जापान, वियतनाम, फिलीपींस और इंडोनेशिया शामिल हैं। इन देशों ने 15-20 फीसदी टैरिफ को मान लिया है। इसके बदले में उन्होंने अमेरिका में निवेश करने और अपने मार्केट्स ओपन करने का वादा किया है। उदाहरण के लिए दक्षिण कोरिया अमेरिका से ज्यादा तेल खरीदने को तैयार हो गया है। ईयू ने कार और दवाओं पर 15 फीसदी टैरिफ पर सहमति जताई है।
करीब 96 देशों पर 10 फीसदी बेसलाइन टैरिफ
अमेरिका ने हाल में जिन 96 देशों पर अलग से टैरिफ नहीं लगाया है, उन पर फ्लैट 10 फीसीद टैरिफ लगाया है। यह टैरिफ इन देशों के सभी सामानों पर लागू होगा। इनमें आस्ट्रेलिया, सिंगापुर, सउदरी अरब, रूस और कई अफ्रीकी देश शामिल हैं। यहां तक कि भूटान जैसे देश भी इस टैरिफ के दायरे में हैं। इससे पता चलता है कि अमेरिका टैरिफ के मामले में किसी देश को रियायत देने को तैयार नहीं है। आधुनिक इतिहास में अमेरिका में ऐसा टैरिफ पहले कभी नहीं देखा गया।