Pannun Close Arrested: कनाडा में भारत के दुश्मन नंबर वन खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू के एक बेहद करीबी पर बड़ी कार्रवाई हुई है। कनाडाई अधिकारियों ने पन्नू के करीबी सहयोगी इंद्रजीत सिंह गोसल को गिरफ्तार कर लिया है। गोसल को ओटावा में कई आरोपों में हिरासत में लिया गया है। इस कार्रवाई को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में एक्टिव अलगाववादी समूहों के प्रति कनाडा के पहले के उदार रुख में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इंद्रजीत सिंह गोसल खालिस्तान समर्थक संगठन सिख फॉर जस्टिस के आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू का पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर (PSO) था। भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने अपने सख्त संदेश से कनाडा की सरकार पर खालिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव डाला था। न्यूज 18 के मुताबिक, इसके बाद से यह बड़ी कार्रवाई की गई है।
गोसल को गुरपतवंत सिंह पन्नू का दायां हाथा माना जाता है। 36 वर्षीय इंद्रजीत को कनाडा की पुलिस ने पिछले साल नवंबर में भी एक हिंदू मंदिर पर हुई हिंसा के मामले में कस्टडी में लिया था। लेकिन फिर उसे शर्तों पर रिहा कर दिया गया था।
गोसल कनाडा में खालिस्तान के लिए जनमत संग्रह कराने का कॉर्डिनेटर था। बताया जा रहा है कि उसे हथियारों से जुड़े एक मामले में पकड़ा गया है। हालांकि, कनाडा पुलिस की तरफ से अब तक ये साफ नहीं बताया गया है कि ये गिरफ्तारी किस मामले में की गई है। सितंबर महीने की शुरुआत में कनाडाई सरकार ने एक आंतरिक रिपोर्ट में अपनी धरती पर खालिस्तानी आतंकवादी समूहों की मौजूदगी और उन्हें भारत के खिलाफ आतंक के लिए कनाडा में फंडिंग कैसे मिलती है, यह स्वीकार किया था।
इन आतंकी समूहों में बब्बर खालसा इंटरनेशनल और इंटरनेशनल SYF शामिल हैं। ये दोनों कनाडा के आपराधिक संहिता के तहत आतंकवादी संगठनों के रूप में सूचीबद्ध हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अब ये आतंकी समूह ज्यादातर व्यक्तियों के छोटे समूहों के माध्यम से काम करते हैं जो किसी विशिष्ट संगठन से बंधे बिना खालिस्तान मुद्दे का समर्थन करते हैं।
भारत-कनाडा के संबंधों में सुधार
विदेश मंत्रालय (MEA) ने 20 सितंबर को कहा था कि भारत और कनाडा द्विपक्षीय संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ने के लिए एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाने पर सहमत हुए हैं। इसमें आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय अपराधों से निपटने के लिए मिलकर काम करना शामिल है।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उनकी कनाडाई समकक्ष नथाली ड्रोइन ने गुरुवार को नई दिल्ली में व्यापक मुद्दों पर वार्ता की। इसका मुख्य उद्देश्य 2023 में एक सिख अलगाववादी की हत्या को लेकर हुए राजनयिक विवाद के बाद गंभीर तनाव से गुजर रहे द्विपक्षीय संबंधों को सुधारना था।
विदेश मंत्रालय के एक बयान में कहा गया, "दोनों पक्ष आगे बढ़ने के रास्ते पर मिलकर काम करने और द्विपक्षीय संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ने की दिशा में सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाने पर सहमत हुए।"
प्रधानमंत्री नरेंद्न मोदी ने जून में कनाडा के कनैनिस्किस में G-7 शिखर सम्मेलन के दौरान अपने कनाडाई समकक्ष मार्क कार्नी के साथ बातचीत की थी। बयान के मुताबिक, बैठक में दोनों नेताओं ने भारत-कनाडा संबंधों में स्थिरता बहाल करने के लिए रचनात्मक कदम उठाने पर सहमति जताई। विदेश मंत्रालय ने डोभाल-ड्रोइन वार्ता पर कहा कि यह प्रधानमंत्री मोदी और उनके कनाडाई समकक्ष कार्नी के बीच हुई चर्चाओं को आगे बढ़ाने का भी एक अवसर था।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने पर ‘लाभकारी’ चर्चा की। इसमें आतंकवाद, अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध से निपटने और खुफिया सूचनाओं के आदान-प्रदान जैसे क्षेत्र शामिल थे।
दोनों एनएसए के बीच यह वार्ता भारत और कनाडा द्वारा एक-दूसरे की राजधानियों में राजनयिक नियुक्त करने के तीन सप्ताह बाद हुई। भारत-कनाडा के संबंध तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के उन आरोपों के बाद चरमरा गए थे जिनमें वर्ष 2023 में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से जुड़े मामले से भारत का संबंध होने की संभावना जताई गई थी।
पिछले साल अक्टूबर में भारत ने अपने उच्चायुक्त और पांच अन्य राजनयिकों को तब वापस बुला लिया था, जब ओटावा ने उन्हें निज्जर मामले से जोड़ने की कोशिश की थी। भारत ने कनाडा के भी इतने ही राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था।