Nepal Gen Z Protest: हिंसक विरोध-प्रदर्शन के बीच नेपाल से एक राहत की खबर सामने आ रही है। नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री झलनाथ खनाल की पत्नी रवि लक्ष्मी चित्रकार को प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार (9 सितंबर) को विरोध-प्रदर्शन के दौरान जिंदा जला दिया था। इसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां दावा किया गया कि इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई है। लेकिन यह खबर झूठी निकली है। वह जिंदा हैं, लेकिन उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।
भीड़ ने झलनाथ खनाल के घर को आग के हवाले कर दिया था। पूर्व प्रधानमंत्री झालानाथ खनाल को घर में आग लगने से पहले नेपाली सेना ने बचा लिया था। 'फैक्ट चेक' करने वाली वेबसाइट BOOM ने नेपाल फैक्ट चेक से संपर्क किया, जिन्होंने कीर्तिपुर स्थित नेपाल क्लेफ्ट एंड बर्न सेंटर की निदेशक डॉ. किरण नकर्मी से पुष्टि की है कि चित्रकार जीवित हैं। लेकिन उनकी हालत गंभीर है। फिलहाल उनका इलाज चल रहा है।
प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार सुबह दल्लू स्थित खनाल के आवास में आग लगा दी। रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शनकारियों द्वारा घर के अंदर आग लगाने के कारण रवि लक्ष्मी गंभीर रूप से जल गई थीं। उनके अनुसार, जब प्रदर्शनकारियों ने आग लगाई, तब वह अपने बेटे निर्भीक खनाल के साथ घर पर थीं।
आग की चपेट में आने के बाद उन्हें छाउनी स्थित नेपाली सेना के अस्पताल ले जाया गया। नेपाली मीडिया ने बताया कि उनका ICU में इलाज चल रहा है। इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की पत्नी को प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया।
इस हमले का एक भयावह वीडियो सामने आया है। इसमें शेर बहादुर देउबा को लहूलुहान हालत में देखा जा सकता है। देउबा को प्रदर्शनकारियों के बीच से जान बचाकर भागते हुए देखा जा सकता है। उनकी पत्नी आरजू राणा देउबा के आवास, नेपाल के पीएम, राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री कार्यालय और विभिन्न राजनीतिक दलों के दफ्तरों में आगजनी की गई है।
नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली ने देश में जारी सरकार विरोधी जबर्दस्त प्रदर्शन के मद्देनजर इस्तीफा दे दिया है। वहीं, प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल सहित कई शीर्ष राजनीतिक नेताओं के निजी आवास पर हमला किया तथा संसद भवन में तोड़फोड़ की।
छात्रों के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शनों में राजनीतिक वर्ग के खिलाफ कई कारणों को लेकर आम लोगों का बढ़ता आक्रोश झलक रहा है। इसमें सोशल मीडिया पर प्रतिबंध और कथित भ्रष्टाचार जैसे कई मुद्दे शामिल हैं। प्रदर्शनकारी कर्फ्यू और सुरक्षा बलों की भारी तैनाती के बावजूद काठमांडू और अन्य स्थानों पर एकत्र हुए।
अधिकारियों ने बताया कि सोमवार को विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस कार्रवाई में कम से कम 19 लोगों की मौत के लिए ओली के इस्तीफे की मांग करते हुए सैकड़ों प्रदर्शनकारियों के उनके कार्यालय में घुसने और नारेबाजी करने के तुरंत बाद ओली ने पद छोड़ दिया।