Credit Cards

टूरिज्म पर श्रीलंका का बड़ा फैसला, देश में जाने के लिए लेना होगा ETA अप्रुवल

Sri Lanka: श्रीलंका सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक ट्रैवल अथॉरिटी (ETA) प्रणाली लागू करने का फैसला किया है। 15 अक्टूबर से सभी विदेशी यात्रियों को देश में प्रवेश से पहले ETA की अनुमति लेनी होगी। इमिग्रेशन डिपार्टमेंट ने 4 अक्टूबर को जारी बयान में इसकी पुष्टि की है

अपडेटेड Oct 05, 2025 पर 12:17 AM
Story continues below Advertisement
इमिग्रेशन डिपार्टमेंट ने 4 अक्टूबर को जारी बयान में इसकी पुष्टि की है (Photo: Canva)

श्रीलंका सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक ट्रैवल अथॉरिटी (ETA) को लेकर बड़ा फैसला किया है। श्रीलंका सरकार ने फिर से इलेक्ट्रॉनिक ट्रैवल अथॉरिटी (ETA) प्रणाली को शुरू करने का फैसला किया है। अब 15 अक्टूबर से सभी विदेशी यात्रियों को देश में प्रवेश करने से पहले ETA की अनुमति लेना जरूरी होगा। इमिग्रेशन डिपार्टमेंट ने 4 अक्टूबर को जारी बयान में इसकी पुष्टि की है। बता दें कि अप्रैल 2024 में ETA प्रणाली को अस्थायी रूप से बंद कर नया eVisa प्लेटफॉर्म शुरू किया गया था। बाद में कानूनी विवाद बढ़ने पर श्रीलंका के सुप्रीम कोर्ट ने नए ई-विसा प्लेटफॉर्म को रद्द करने और पुरानी ETA प्रणाली बहाल करने का आदेश दिया।

फैसले का हो रहा था विरोध

श्रीलंका सरकार पर्यटन और इमिग्रेशन डिपार्टमेंट में प्रशासनिक बदलाव की योजना पर काम कर रही है, लेकिन इसी बीच उसे टूरिस्ट क्षेत्र में सभी लोगों को शामिल करने के प्रयासों को लेकर धार्मिक विरोध का सामना करना पड़ रहा है। खास तौर पर LGBTIQ समुदाय से जुड़ी पहलों पर बौद्ध और कैथोलिक धार्मिक नेताओं ने नाराजगी जताई है। उन्होंने श्रीलंका टूरिस्ट विकास प्राधिकरण द्वारा एक एनजीओ के विविधता कार्यक्रमों को मिली मान्यता पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है।


धार्मिक कारणों से हो रहा विरोध

विवाद तब बढ़ा जब श्रीलंका पर्यटन विभाग ने 9 सितंबर को एक पत्र जारी कर एनजीओ ‘इक्वल ग्राउंड’ की सराहना की, जिसने विश्व टूरिस्ट डे 2025 से पहले टूरिस्ट फिल्ड क्षेत्र में विविधता और समानता को बढ़ावा देने का काम किया था। इसके बाद धार्मिक संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई और पर्यटन विभाग पर "अनैतिक समलैंगिक गतिविधियों" को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।

श्रीलंका के चार प्रमुख बौद्ध संप्रदायों के प्रमुखों ने मिलकर राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने "अनैतिक समलैंगिक गतिविधियों को बढ़ावा देने" की निंदा की है। उनका यह बयान तब आया जब कैथोलिक चर्च के प्रमुख मैल्कम कार्डिनल रंजीत ने भी देश में "नई और अस्वीकार्य सांस्कृतिक प्रथाओं" को लागू करने के प्रयासों की आलोचना की थी।

बौद्ध धर्मगुरुओं ने की अपील

बौद्ध धर्मगुरुओं ने राष्ट्रपति से अपील की है कि वे ऐसी गतिविधियों को रोकें, जिन्हें वे बौद्ध सिद्धांतों और पारंपरिक मूल्यों के खिलाफ मानते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की पहलें "अनैतिक समलैंगिक प्रथाओं को बढ़ावा" देती हैं और समाज में गलत संदेश फैलाती हैं। श्रीलंका में मौजूदा कानूनों के अनुसार समलैंगिक संबंध अपराध की श्रेणी में आते हैं। दंड संहिता की धारा 365 के तहत "प्रकृति के विरुद्ध" माने जाने वाले यौन संबंधों, जिनमें आपसी सहमति से बने समलैंगिक रिश्ते भी शामिल हैं, को सज़ा योग्य अपराध माना गया है।

Pakistan: पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में स्कूल में बम धमाका, कई छात्र घायल

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।