कैलिफ़ोर्निया के अटॉर्नी जनरल रॉब बोंटा की अगुवाई में बीस अमेरिकी राज्यों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सितंबर के उस आदेश को चुनौती देते हुए एक मुकदमा दायर किया है, जिसमें नए H-1B वीज़ा पर $100,000 की फीस लगाई गई थी। उन्होंने इस पॉलिसी को "अवैध" और ज़रूरी पब्लिक सर्विस के लिए नुकसानदायक बताया है।
अदालत में दाखिल अपील में कहा गया है कि ट्रंप प्रशासन ने फ़ेडरल कानून के तहत अपनी शक्तियो का उल्लंघन किया है,एडमिनिस्ट्रेटिव प्रोसीजर एक्ट का उल्लंघन किया हैऔर कांग्रेस को नज़रअंदाज़ किया है।
H-1B प्रोग्राम अमेरिकी कंपनियों को टेक्नोलॉजी, हेल्थकेयर और एजुकेशन जैसे खास फील्ड में विदेशी प्रोफेशनल्स को हायर करने की इजाज़त देता है। बोंटा ने इस बात पर ज़ोर दिया कि हज़ारों शिक्षक और हेल्थकेयर वर्कर इस वीज़ा पर निर्भर हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि इस फीस के चलते अहम सेक्टरों में लेबर की और कमी हो जाएगी।
बोंटा ने कहा,"दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते, कैलिफ़ोर्निया यह जानता है कि जब दुनिया भर से स्किल्ड टैलेंट हमारे वर्कफोर्स में शामिल होता है, तो यह हमारे राज्य की प्रगति होती है।" "राष्ट्रपति ट्रंप की गैर-कानूनी $100,000 H-1B वीज़ा फीस कैलिफ़ोर्निया के पब्लिक एम्प्लॉयर्स और ज़रूरी सर्विस देने वालों पर गैर-ज़रूरी और गैर-कानूनी वित्तीय बोझ डाल रही है,जिससे जरूरी सेक्टरों में लेबर की कमी और बढ़ रही है।"
इस मुकदमे में कैलिफोर्निया के साथ शामिल होने वाले राज्यों में न्यूयॉर्क, मैसाचुसेट्स, इलिनोइस, न्यू जर्सी, वाशिंगटन, एरिजोना, कोलोराडो, कनेक्टिकट, डेलावेयर, हवाई, मैरीलैंड, मिशिगन, मिनेसोटा, नेवादा, नॉर्थ कैरोलिना, ओरेगन, रोड आइलैंड, वर्मोंट और विस्कॉन्सिन शामिल हैं। मैसाचुसेट्स की अटॉर्नी जनरल एंड्रिया जॉय कैंपबेल इस मामले में को-लीड कर रही हैं।
अभी एम्प्लॉयर H-1B फीस के तौर पर $960 से $7,595 के बीच पेमेंट करते हैं। आलोचकों का कहना है कि राष्ट्रपति के आदेश के ज़रिए जारी किया गया ट्रंप का यह ऑर्डर इस रकम से कहीं ज़्यादा है। इससे उन जरूरी सेक्टर्स भारी दिक्कत हो सकती है जो विदेशी टैलेंट पर निर्भर हैं। जबकि ट्रंप के समर्थक इस पॉलिसी का बचाव करते हुए कहते हैं कि यह फीस प्रोग्राम के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए ज़रूरी है।