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अमेरिका ने बढ़ाई वीजा फीस, तो चीन लाया K-Visa, आसान नियम, ज्यादा फायदे, न कोई जॉइनिंग या अपॉइंटमेंट लेटर की जरूरत

China K-Visa: बीजिंग ने कहा कि देश के विकास के लिए दुनिया भर की प्रतिभाओं की जरूरत है और चीन का विकास उन लोगों को भी अवसर प्रदान करता है। इस फैसले का मकसद है नई पीढ़ी की वर्क पॉलिसी के तहत चीन की वर्कफोर्स रणनीति को आगे बढ़ाना, विदेशी युवाओं को विज्ञान-तकनीक के क्षेत्र में चीन आने में आसानी देना

अपडेटेड Sep 22, 2025 पर 3:09 PM
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अमेरिका ने बढ़ाई वीजा फीस, तो चीन लाया K-Visa, आसान नियम, ज्यादा फायदे (IMAGE-AI)

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा फीस बढ़ाकर 100,000 डॉलर कर दी है, उनके इस फैसले ने टेक और IT सेक्टर में काम करने वाले लोगों की टेंशन बढ़ा दी है। इधर दुनिया अभी ट्रंप के वीजा फीस बढ़ाने के फैसले और उसके असर पर चर्चा कर ही रही है, इस बीच चीन ने यह मौका भुनाने की कोशिश की और यंग IT और टेक एक्सपर्ट्स को लुभाने के लिए एक नई वीजा कैटेगरी की घोषणा कर दी। बीजिंग अपने सामान्य वीजा कैटेगरी में नई कैटेगरी 'के वीजा' (K Visa) जोड़ रहा है। साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स (STEM) से जुड़े लोगों के लिए ये नया वीजा लाया जा रहा है।

चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग ने विदेशियों के एंट्री और एग्जिट से जुड़े नियमों में बदलाव करने वाले एक आदेश पर हस्ताक्षर भी कर दिए हैं। न्यूज एजेंसी शिन्हुआ की एक रिपोर्ट के अनुसार, नए नियम 1 अक्टूबर से लागू होंगे।

क्या होंगी K-Visa की शर्तें?


चीन के मौजूदा 12 तरह के सामान्य वीजा की तुलना में, K वीजा होल्डर को ज्यादा सुविधाएं मिलेंगी। इसमें ज्यादा बार आने-जाने की इजाजत होगी, वीजा की वैलिडेशन पीरियड भी ज्यादा होगा और ठहरने का ज्यादा समय मिलेगा।

चीन में एंट्री करने के बाद, K वीजा होल्डर को वहां शिक्षा, संस्कृति, विज्ञान और तकनीक जैसे क्षेत्रों में काम करने की भी अनुमति होगी। इसके साथ ही वे कारोबार और बिजनेस भी कर सकेंगे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वीजा के लिए संबंधित चीन की अधिकारियों की तरफ से तय की गईं योग्यताएं और जरूरतें पूरी करनी होंगी, साथ ही मांगे गए जरूरी दस्तावेज भी पेश करने होंगे। फिलहाल आधिकारिक तौर पर के-वीजा की फीस या जरूरी दस्तावेजों की ज्यादा जानकारी नहीं दी गई है।

उम्र, शैक्षिक योग्यता और वर्क एक्सपीरियंस की शर्तों के अलावा, बड़ी बात ये है कि K वीजा के लिए आवेदन करने में चीन की किसी कंपनी या संस्था के जॉइनिंग या अपॉइंटमेंट लेटर या इनविटेशन डॉक्यूमेंट की जरूरत नहीं होगी। साथ ही, आवेदन प्रक्रिया भी ज्यादा आसान होगी।

के-वीजा पर बीजिंग का बयान

बीजिंग ने कहा कि देश के विकास के लिए दुनिया भर की प्रतिभाओं की जरूरत है और चीन का विकास उन लोगों को भी मौके देता है।

इस फैसले का मकसद है नई पीढ़ी की वर्क पॉलिसी के तहत चीन की वर्कफोर्स रणनीति को आगे बढ़ाना, विदेशी युवाओं को विज्ञान-तकनीक के क्षेत्र में चीन आने में आसानी देना और अंतरराष्ट्रीय सहयोग व आदान-प्रदान को बढ़ावा देना।

चीन की टैलेंट पॉलिसी

बीजिंग का K वीजा लॉन्च करना दरअसल उसकी एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है, जिसके जरिए वह देश को अंतरराष्ट्रीय सहयोग और आदान-प्रदान के लिए और ज्यादा खोलना चाहता है। इसमें शामिल हैं- एंट्री नियमों में ढील, वीजा-फ्री एंट्री को बढ़ाना और 75 देशों के साथ आपसी वीजा छूट समझौते।

यात्रियों के लिए 240 घंटे तक वीजा-फ्री ट्रांजिट की सुविधा भी 55 देशों के लोगों को दी जा रही है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2025 की पहली छमाही में चीन आने-जाने वाले विदेशी यात्रियों की संख्या 3.80 करोड़ से ज्यादा रही। यह पिछले साल की तुलना में 30% से ज्यादा बढ़ोतरी है। इनमें से वीजा-फ्री एंट्री वाले यात्रियों की संख्या करीब 54% तक बढ़ गई।

दक्षिण एशिया के लिए इसका मतलब

K वीजा का ऐलान ऐसे समय में हुआ है, जब अमेरिका ने H-1B वीजा की फीस 1 लाख डॉलर कर दी है। इसके बाद कई भारतीय और दक्षिण एशियाई प्रोफेशनल्स अब अमेरिका में करियर बनाने को लेकर सोच में पड़ गए हैं।

ऐसे में चीन का K वीजा एक आकर्षक और सस्ता विकल्प बनकर सामने आ रहा है। इसमें मिलने वाली सुविधाएं और आसान शर्तें इसे उन ग्लोबल STEM टैलेंट (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स प्रोफेशनल्स) के लिए बेहतर अवसर बना सकती हैं, जो नए विकल्प तलाश रहे हैं।

अमेरिका में वीजा फीस बढ़ोतरी

दरअसल अमेरिका में 21 सितंबर के बाद दाखिल होने वाले सभी नए H-1B वीजा आवेदनों पर अब 1 लाख डॉलर (USD) की फीस लगेगी। इसमें 2026 की लॉटरी भी शामिल है। यह ऐलान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में किया। उन्होंने कहा कि यह कदम अमेरिकी नौकरियों और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उठाया गया है।

इसके अलावा, उन्होंने "ट्रंप गोल्ड कार्ड" वीजा प्रोग्राम की घोषणा भी की, जिसके तहत 10 लाख डॉलर चुकाकर कोई भी व्यक्ति अमेरिका का स्थायी निवास बन सकता है।

US सिटिजन एंड इमिग्रेशन सर्विस (USCIS) ने बताया कि 19 सितंबर की घोषणा H-1B वीजा सिस्टम में सुधार की एक अहम शुरुआत है। अब 21 सितंबर 2025 की रात 12:01 बजे के बाद आने वाले सभी नए H-1B आवेदनों में 100,000 डॉलर फीस देनी होगी। इसमें 2026 की लॉटरी और उसके बाद के सभी आवेदन शामिल होंगे।

इंटरनेशनल ग्रेजुएट छात्रों के लिए H-1B वीजा अमेरिका में पढ़ाई के बाद रुकने का मुख्य रास्ता है। पिछले साल H-1B वीजा में भारत सबसे बड़ा लाभार्थी रहा, जहां कुल अप्रूव वीजा का 71% भारतीयों को मिला। चीन दूसरे नंबर पर रहा, लेकिन उसका हिस्सा केवल 11.7% था।

ट्रंप के इस कदम से आशंका जताई जा रही है कि हजारों युवा पेशेवर अमेरिका जाने का सपना छोड़कर दूसरे विकल्प खोजेंगे और चीन अपने नए वीजा प्रोग्राम से इसका पूरा-पूरा फायदा उठाना चाहेगा।

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Shubham Sharma

Shubham Sharma

First Published: Sep 22, 2025 1:05 PM

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