Tariff War Effect: अमेरिका और चीन के बीच चल रहे टैरिफ वार के चलते इस साल 2025 में वैश्विक कारोबार का वॉल्यूम 0.2 फीसदी गिर सकता है। यह मानना है विश्व व्यापार संगठन (WTO) का। डब्ल्यूटीओ ने बुधवार को कहा कि रेसिप्रोकल टैरिफ और वैश्विक स्तर पर नीतिगत अनिश्चितता के चलते वैश्विक स्तर पर गुड्स की ट्रेडिंग में और तेज गिरावट हो सकती है और यह 1.2 फीसदी फिसल सकता है। इससे उन देशों को तगड़ा लगेगा जो विकासशील हैं और इकॉनमी निर्यात पर निर्भर है। डब्ल्यूटीओ का कहना है कि अगर स्थिति और बिगड़ती है तो वैश्विक ट्रेडिंग 1.5 फीसदी तक गिर सकती है। सर्विसेज के ट्रेडिंग की बात करें तो इस पर टैरिफ का सीधा असर तो नहीं पड़ेगा लेकिन इस पर भी कारोबारी जंग का असर दिखेगा और कॉमर्शियल सर्विसेज ट्रेड का ग्लोबल वॉल्यूम अब 4 फीसदी की ही रफ्तार से बढ़ने का अनुमान है जोकि पहले से कम है।
भारत के लिए क्या है WTO की इस आशंका का मतलब?
डब्ल्यूटीओ ने वैश्विक व्यापार में गिरावट की जो आशंका जाहिर की है, वह भारत के लिए सुखद नहीं है। इसकी वजह ये है कि भारत ने वर्ष 2030 तक अपने माल और सेवाओं के निर्यात को 2 ट्रिलियन यानी 2 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। अभी की बात करें तो चार महीने बाद भारत का निर्यात मार्च में पॉजिटिव रहा और 0.7% की मामूली बढ़ोतरी के साथ 4197 करोड़ अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया। वहीं वैश्विक स्तर पर आर्थिक अनिश्चितताओं के बावजूद पिछले वित्त वर्ष 2025 में माल और सेवाओं का कुल निर्यात 82 हजार करोड़ डॉलर के रिकॉर्ड हाई के पार चला गया।
WTO ने Tariff War पर जताई चिंता
डब्ल्यूटीओ के डायरेक्टर-जनरल Ngozi Okonjo-Iweala का कहना है कि ट्रेड पॉलिसी को लेकर अनिश्चितता पर वह बहुत चिंतित है। अमेरिका ने रेसिप्रोकल टैरिफ पर जो रोक लगाई है, उसके चलते वैश्विक कारोबार पर जो दबाव कम हुआ है, वह अस्थायी ही है। इससे पहले अक्टूबर 2024 में डब्ल्यूटीओ ने वर्ष 2025 में 5 फीसदी की ग्रोथ का अनुमान लगाया था लेकिन डब्ल्यूटीओ ने आशंका जताई है कि अब टैरिफ वार के चलते इसमें 1.5 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है।