मौजूदा वित्त वर्ष में ग्रोथ मुख्य तौर पर सरकारी कैपिटल एक्सपेंडिचर आधारित रही है। अगले वित्त वर्ष यानी FY2025 में भी यह सिलसिला जारी रहने की उम्मीद है, क्योंकि कंजम्प्शन की स्थिति अच्छी नहीं है और प्राइवेट सेक्टर की नजरें फिलहाल भविष्य पर हैं। वित्त वर्ष 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था की जीडीपी ग्रोथ (GDP GROWTH) 7.3 पर्सेंट रहने का अनुमान है। सरकार और एक्सपर्ट्स जहां इस अनुमान से काफी खुश और संतुष्ट हैं, लेकिन एक तबका ऐसा भी है, जो अनुमानित आंकड़ों में मौजूद कमजोरियों की तरफ भी इशारा कर रहा है।
आंकड़ों की बारीक पड़ताल करने पर पता चलता है कि कुल जीडीपी में घरेलू खपत की हिस्सेदारी महज 56.9 पर्सेंट है, जो पिछले साल के मुकाबले 1.50 पर्सेंट कम है। इसके अलावा, पिछले वित्त वर्ष में प्रति व्यक्ति आय के लिहाज से घरेलू खर्च की ग्रोथ में महज 3.5 पर्सेंट की ग्रोथ देखने को मिली। इन आंकड़ों के लिहाज से प्रति व्यक्ति जीडीपी का आकलन किया जाए, तो इसका मतलब है कि जीडीपी ग्रोथ सिर्फ सरकारी कैपिटल एक्सपेंडिचर पर आधारित है, न कि घरेलू खपत पर।
कंज्यूमर सेंटीमेंट को बढ़ावा देना जरूरी
चूंकि आने वाले समय में सरकारी खजाने के पास क्षमता बेहद सीमित होगी, लिहाजा घरेलू खपत को बढ़ावा देने के मकसद से सरकार को कंज्यूमर से जुड़ी सब्सिडी के लिए संसाधन आवंटित करना चाहिए। इस रणनीति से जहां फिस्कल रिस्पॉन्स्बिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट (FRBM) की प्रक्रिया में विलंब हो सकता है और इनफ्लेशन में थोड़े समय के लिए तेजी देखने को मिल सकता है।
हालांकि, इकनॉमी के लिए इसका लॉन्ग टर्म असर काफी अहम है और इससे सेंटीमेंट को बेहतर बनाने में काफी हद तक मदद मिलेगी। बजट में कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल्स की खपत के लिए इटरेस्ट सबवेंशन स्कीम को बढ़ावा देकर भारत में खपत की रफ्तार को फिर से पटरी पर लाया जा सकता है।