Flipkart News: पिछले एक महीने से फ्लिपकार्ट के प्लेटफॉर्म पर सेलर्स कीमतों में बदलाव नहीं कर पा रहे हैं। इसकी वजह ये है कि वालमार्ट के मालिकाना हक वाली इस ई-कॉमर्स कंपनी ने मई में कमीशन के रेट कार्ड में बदलाव किया था। मनीकंट्रोल से बातचीत में कई सेलर्स ने फ्लिपकार्ट पर ई-कॉमर्स के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) से जुड़ी नीतियों के उल्लंघन का आरोप लगाया है। उनका यह भी कहना है कि फ्लिपकार्ट का यह फैसला प्रतिस्पर्धा विरोधी है और यह छोटे सेलर्स के लिए नुकसान वाला है। ट्रेड यूनियन लीडर प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि ई-कॉमर्स कंपनियां तो सिर्फ बायर्स और सेलर्स के बीच की कड़ी हैं और वे कीमतों में बदलाव को नियंत्रित नहीं कर सकती हैं। वे सेलर्स को अपने प्रोडक्ट्स की कीमतों में बदलाव से नहीं रोक सकती हैं।
पिछले महीने फ्लिपकार्ट ने सेटलमेंट ट्रांसपैरेंसी बढ़ाने के नाम पर अपनी पॉलिसी में बड़ा बदलाव किया था और यह चार कंपोनेंट्स (फिक्स्ड, कमीशन, कलेक्शन, शिपिंग) से दो कंपोनेंट्स (फिक्स्ड और कमीशन पर शिफ्ट हुई थी। सेलर्स का कहना है कि इसके बाद 18 मई से उन्हें कीमतों में बदलाव करने से रोक दिया गया। उनका आरोप है कि फ्लिपकार्ट ने उन्हें नए रेट कार्ड के हिसाब से दाम भी एडजस्ट नहीं करने दिया और यह भी नहीं चेक करने दिया कि क्या वह कम कमीशन का फायदा अपने ग्राहकों को दे सकते हैं या नहीं।
Flipkart का क्या कहना है?
इस मामले में फ्लिपकार्ट के प्रवक्ता का कहना है कि कंपनी एफडीए से जुड़े सभी नियमों का पालन कर रही है और कीमतों को तय करने में इसकी कोई भूमिका नहीं है। फ्लिपकार्ट के प्रवक्ता ने आगे कहा कि जो नई रेट कार्ड पॉलिसी लाई गई है, उसका मकसद सेटलमेंट ट्रांसपैरेंसी को बढ़ाते हुए सेलर्स के लिए ग्रोथ के मौके बढ़ाना है। प्रवक्ता ने आगे कहा कि नई पॉलिसी को हाल ही में लाया गया और इसे सेलर्स को अच्छे से समझाने के लिए बातचीत की जा रही है। इन बदलावों से हुए फायदे के बारे में उन्होंने बताया कि दो हफ्ते में बिजनेस ट्रांजेक्शंस में और एक्टिव सेलर्स में बढ़ोतरी हुई। फ्लिपकार्ट का कहनना है कि सभी सेलर्स को सेलर सपोर्ट सिस्टम का एक्सेस दिया गया है ताकि वे जरूरत पड़ने पर उनकी मदद हो सके।
फ्लिपकार्ट पर छोटे सेलर्स को दिक्कत क्या आ रही है, इसे उदाहरण से समझ सकते हैं। जैसे कि कोई खिलौने बेचने वाला अपने किसी प्रोडक्ट का दाम 709 रुपये से बढ़ाकर 712 रुपये करना चाहता है। हालांकि ऐसा करने पर उसके सामने एक डायलॉग बॉक्स खुलता है जिसमें लिखा होता है कि “System Update: Keep revisions closer to historic settlement value.” यानी कि सिस्टम अपडेट हुआ है और अपने हिस्टोरिक सेटलमेंट वैल्यू के करीब इसमें रिविजन करते रहें। अब यहां हिस्टोरिक सेटलमेंट वैल्यू का मतलब एवरेज पेआउट है जो किसी खास प्रोडक्ट के लिए कमीशन और लॉजिस्टिक्स चार्जेज काटकर फ्लिपकार्ट से सेलर को मिलता है। खिलौने बेचने वाले के मामले में यह 404 रुपये था। अब सेलर्स का कहना है कि इस बात से संकेत मिल रहा है कि कंपनी कीमतें इसलिए नहीं बढ़ाने दे रही है क्योंकि फिर इससे सेटलमेंट वैल्यू बढ़ेगा और पेआउट भी बढ़ेगा।
फ्लिपकार्ट की पॉलिसी का अलग-अलग प्रकार के सेलर्स पर अलग-अलग तरीके से पड़ा है। कॉपर के सामान बेचने वाले एक सेलर्स का कहना है कि उसके लिए हिस्टोरिक सेटलमेंट वैल्यू 150-200 रुपये है जबकि तांबे के बोतल की औसत कीमत 499 रुपये है। अब पिछले कुछ महीने में तांबे की कीमत 15-29 फीसदी बढ़ी है तो इसके सामानों की लागत बढ़ गई है। ऐसे में सेलर ने 499 रुपये के कॉपर बॉटल की कीमत बढ़ाकर 599 रुपये करना चाहा लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
इसका सबसे बड़ा झटका छोटे सेलर्स को लग रहा है क्योंकि बड़े सेलर्स को ई-कॉमर्स कंपनियां अकाउंट मैनेजर्स मुहैया कराती हैं। गुजरात के एक स्किनकेयर प्रोडक्ट्स सेलर के मुताबिक ये अकाउंट मैनेजर्स बड़े सेलर्स के प्रोडक्ट्स की कीमतों में बदलाव कर ले रहे हैं लेकिन छोटे सेलर्स जब प्राइसिंग में बदलाव की शिकायत कर रहे हैं तो उन्हें ऑटोमैटिकली जेनेरेट ईमेल मिल रहे हैं। सेलर सपोर्ट टीम के पास कई बार शिकायत के बाद भी उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है।
लॉ फर्म टेकलेगिस के पार्टनर सलमान वारिस का कहना है कि फ्लिपकार्ट पर छोटे सेलर्स अपने प्रोडक्ट्स की कीमतें नहीं बदल पा रहे हैं जबकि बड़े सेलर्स कर ले रहे हैं तो यह कानूनी रूप से गलत है। यह फ्लिपकार्ट का अपने दबदबे का गलत इस्तेमाल है। सलमान का कहना है कि 2020 के एफडीआई सर्कुलर के मुताबिक कोई भी ई-कॉमर्स कंपनी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्राइसिंग को प्रभावित नहीं कर सकती है। उनका कहना है कि मौजूदा मामले में दो मोर्चों पर नियमों का उल्लंघन हो रहा है- एक तो यह कीमतों को प्रभावित कर रही है और दूसरे ये कि बड़े सेलर्स को इसमें बदलाव की मंजूरी दी जा रही लेकिन छोटे सेलर्स को नहीं।