दिवालिया हो चुकी एयरलाइन कंपनी गो फर्स्ट (Go First) के भविष्य पर आज फैसला होगा। नुस्ली वाडिया (Nusli Wadia) की गो फर्स्ट के भविष्य को लेकर आज लेंडर्स की बैठक है। लेंडर्स इसके लिक्विडेशन यानी संपत्तियों की बिक्री के प्रस्ताव पर विचार करेंगे। इसके अलावा एक और प्रस्ताव पर चर्चा होगी कि गो फर्स्ट के एसेट्स के इच्छुक खरीदारों पर भी चर्चा होगी। सीएनबीसी-टीवी18 ने 4 जनवरी को सूत्रों के हवाले से जानकारी दी थी कि कि गो फर्स्ट के क्रेडिटर्स की कमेटी इस विमानन कंपनी के लिए एक्सप्रेशंस ऑफ इंटेरेस्ट (EoI) दाखिल करने की डेडलाइन बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार करेगी।
डेडलाइन बढ़ाने पर क्यों होगा विचार
गो फर्स्ट के क्रेडिटर्स की कमेटी EOI डेडलाइन बढ़ाने के प्रस्ताव पर वोटिंग करेगी। रिपोर्ट के मुताबिक इस पर चर्चा इसलिए होगी ताकि स्पाइस जेट समेत तीन रिजॉल्यूशन प्रपोजल दाखिल हो चुके हैं। 22 नवंबर का डेडलाइन पार होने के बाद पिछले महीने दिसंबर में स्पाइसजेट, शारजाह की एविएशन कंपनी स्काई वन और अफ्रीका पर फोकस सैफरिक इनवेस्टमेंट्स ने गो फर्स्ट को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई थी।
Go First पर कितना है कर्ज
वर्ष 2005 में बनी गो फर्स्ट ने पिछले साल मई 2023 में बैंकरप्सी के लिए आवेदन किया था। इस पर 6521 करोड़ रुपये से अधिक आउटस्टैंडिंग कर्ज है जिसमें से एक बड़ा हिस्सा सरकारी बैंकों से लिया हुआ है। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में सबसे अधिक 1987 करोड़ रुपये का एक्सपोजर है। इसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा में 1430 करोड़ रुपये, दायचे बैंक में 1320 करोड़ रुपये और आईडीबीआई बैंक में 58 करोड़ रुपये एक्सपोजर है।
बैंकों के बकाया पैसे के अलावा गो फर्स्ट पर कई विमान पट्टेदारों का करीब 2,000 करोड़ रुपये, वेंडर्स का करीब 1,000 करोड़ रुपये, ट्रैवल एजेंटों का करीब 600 करोड़ रुपये और लंबित रिफंड वाले ग्राहकों का 500 करोड़ रुपये बकाया है। इसके अलावा गो फर्स्ट ने कोविड महामारी के दौरान शुरू की गई केंद्र की इमरजेंसी क्रेडिट स्कीम के तहत 1292 करोड़ रुपये का उधार भी लिया था। कुल मिलाकर इस पर कुल देनदारियां करीब 11,000 करोड़ रुपये की है।
गो फर्स्ट के एसेट्स बेचकर देनदारियों को चुकाने की बात हो रही है तो यह जानना भी अहम है कि इसके पास एसेट्स कितना है। गो फर्स्ट के पास जो संपत्तियां बची हैं, उसमें सबसे अहम ठाणे की 94 एकड़ जमीन है जो बैंकों के पास गिरवी है। इसकी कीमत करीब 3 हजार करोड़ रुपये है। जमीन के अलावा इसके पास मुंबई में एक एयरबस ट्रेनिंग फैसिलिटी और इसके मुख्यालय हैं।