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आखिर बैंकों में एग्जिक्यूटिव्स के जूनियर अफसरों से दुर्व्यवहार के मामले क्यों बढ़ रहे हैं?

पहले एंप्लॉयीज पर टारगेट पूरा करने का दबाव सिर्फ प्राइवेट बैंकों में होता था। अब सरकार बैंकों में भी बड़े अफसर टारगेट पूरा नहीं करने के लिए जूनियर स्टॉफ को फटकार लगा रहे हैं। सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो के आने के बाद यह मसला सुर्खियों में आ गया है

अपडेटेड May 27, 2024 पर 6:18 PM
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टारगेट की शुरुआत टॉप मैनेजमेंट से होती है, जो धीरे-धीरे नीचे तक पहुंच जाता है।

हाल में कुछ बैंक एग्जिक्यूटिव्स गलत कारणों से सुर्खियों में रहे हैं। उन्हें बिजनेस टारगेट पूरा नहीं करने पर अपने जूनियर स्टाफ को फटकार लगाते देखा गया। खासकर दो वीडियो बहुत चर्चा में रहे। एक बंधन बैंक का था और दूसरा केनरा बैंक का। पहले ये वीडियो सोशल मीडिया पर आए। फिर मुख्यधारा की मीडिया ने इनके बारे में बताया। मनीकंट्रोल ने 7 मई को इन घटनाओं के बारे में बताया था।

अफसर मीटिंग में जूनियर के साथ करते हैं दुर्व्यवहार

बंधन बैंक (Bandhan Bank) के वीडियो में 24 अप्रैल को एक ऑनलाइन मीटिंग में कुणाल भारद्वाज नाम के एक अफसर को टारगेट पूरा नहीं करने के लिए एक जूनियर को फटकारते देखा गया। केनरा बैंक के वीडियो में लोकपति स्वेन को रिकवरी टारगेट पूरे नहीं होने पर जूनियर को डांट लगाते देखा गया। स्वेन ने यहां तक कह दिया कि तुम अपने परिवार के साथ घूमने में समय बिताते हो। तुम्हें बैंक पैसा काम के लिए देता है न कि परिवार के साथ घूमने के लिए।


पिछले साल एचडीएफसी बैंक में ऐसा मामला आया था

इसी तरह के एक मामले के बाद पिछले साल HDFC Bank ने अपने एक अफसर को कोलकाता में सस्पेंड कर दिया था। सवाल है कि आखिर बैंकों में अफसरों के इस तरह का व्यवहार करने की क्या वजह है? बैंकिंग सेक्टर में लगातार बढ़ती प्रतियोगिता ने बैंकर्स पर टारगेट पूरे करने के लिए दबाव बढ़ाया है। पहले यह प्राइवेट बैंकों में था अब सरकारी बैंकों में भी यह दबाव दिख रहा है।

टारगेट पूरी नहीं करने पर डांटते हैं अफसर

टारगेट की शुरुआत टॉप मैनेजमेंट से होती है, जो धीरे-धीरे नीचे तक पहुंच जाता है। रेटिंग एजेंसी Acuite Ratings की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी बैंकों की बाजार हिस्सेदारी 78 फीसदी से घटकर 69 फीसदी पर आ गई है। सरकारी बैंक प्राइवेट बैंकों के मुकाबले पिछड़ रहे हैं। ऐसे में एंप्लॉयीज पर बिजनेस बढ़ाने का दबाव बढ़ा है। दूसरी तरफ सरकारी बैंकों में एंप्लॉयीज की कमी का भी मसला है।

एंप्लॉयीज का ट्रांसफर दूरदराज के इलाकों में

बैंकों में खराब प्रदर्शन का मतलब सिर्फ बिजनेस टारगेट पूरे करने से नहीं है। सरकारी बैंकों में एंप्लॉयीज को ऐसी जगहों में ट्रांसफर कर दिया जाता है जहां की भाषा उन्हें आती और काम की संस्कृति भी अलग होती है। लेकिन, जब उनके प्रदर्शन का आंकलन होता है तो इन चीजों को ध्यान में नहीं रखा जाता है।

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कामकाज का अच्छा माहौल जरूरी

वजह चाहे जो भी हो कामकाज में इस तरह के व्यवहार को ठीक नहीं कहा जा सकता। ऑल इंडिया बैंक एंप्लॉयीज एसोसिएशन (AIBEA) के जनरल सेक्रेटरी सीएच वेंकटचलम ने कहा, "खराब व्यहवार की बैंकों में इजाजत नहीं है। इसकी वजह चाहे जो भी हो। मैनेजमेंट को ऐसी चीजों पर रोक लगाने और समस्या का हल निकालने के लिए ऑफिसर्स एसोसिएशंस से बात करनी चाहिए।"

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