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ITR Filing: इन 5 वजहों से रिजेक्ट हो सकता है आपका आईटीआर, रिटर्न फाइल करने से पहले इनके बारे में जरूर जान लें

ITR Filing 2024: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट रिटर्न फाइल करने के लिए टैक्सपेयर्स को लगातार रिमाइंडर भेज रहा है। अब तक 4 करोड़ से ज्यादा रिटर्न फाइल किए जा चुके हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि सिर्फ रिटर्न फाइल करना पर्याप्त नहीं है। उसे सही तरह से फाइल करना जरूरी है नहीं तो रिटर्न रिजेक्ट हो सकता है

अपडेटेड Jul 27, 2024 पर 5:06 PM
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टैक्सपेयर्स को रिटर्न फाइल करने के लिए सही फॉर्म को सेलेक्ट करना भी बहुत जरूरी है।

इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) सही तरह से फाइल नहीं होने पर उसके रिजेक्ट हो जाने की आशंका रहती है। टैक्स एक्सपर्ट्स इसीलिए आईटीआर फॉर्म भरने में सावधानी बरतने की सलाह देते हैं। उनका यह भी कहना है कि टैक्सपेयर्स को जल्दबाजी में रिटर्न फाइल नहीं करना चाहिए। अगर किसी वजह से टैक्सपेयर्स को रिटर्न भरने में दिक्कत आ रही है तो उसे सीए या टैक्स एक्सपर्ट की कंसल्टेंसी सर्विसेज का इस्तेमाल करना चाहिए। इसकी वजह यह है कि इनकम टैक्स रिटर्न रिजेक्ट होने के बाद टैक्सपेयर्स को दिक्कत का सामना करना पड़ता है। आइए जानते हैं आम तौर टैक्सपेयर्स को किन गलतियों से बचना चाहिए।

1. फॉर्म में गलत जानकारी 

टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स फॉर्म में कोई गलत जानकारी नहीं देनी चाहिए। ऐसे किसी डिडक्शन का दावा नहीं करना चाहिए, जिसका वह हकदार नहीं है। फॉर्म सब्मिट करने से पहले हर जानकारी की एक या दोबार जांच कर लेनी चाहिए। कई बार कैलकुलेशन में गलती होने से फॉर्म में गलत जानकारी चली जाती है जिससे फॉर्म रिजेक्ट हो जाता है। टैक्सपेयर्स को रिटर्न फाइल करने के लिए सही फॉर्म के इस्तेमाल पर भी ध्यान देना जरूरी  है।


2. फॉर्म 16 और एआईएस के डेटा में फर्क

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास टैक्सपेयर्स के हर फाइनेंशियल पर नजर रखने के कई तरीके हैं। एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) इनमें सबसे प्रमुख है। इसी तरह सैलरीड टैक्सपेयर्स के लिए सबसे अहम डॉक्युमेंट फॉर्म-16 है। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने से पहले फॉर्म 16 और एआईएस में दी गई जानकारी को ठीक तरह से समझ लेना जरूरी है। इससे आईटीआर में गलत इंफॉर्मेशन जाने की आशंका घट जाएगी। टैक्सपेयर्स फॉर्म 16 और एआईएस के डेटा को मैच कराने की सलाह देते हैं।

3. डेडलाइन तक फॉर्म सब्मिट नहीं करना

आईटीआर फाइल करने की अंतिम तारीख से पहले आईटीआर फॉर्म को सब्मिट करना जरूरी है। आम तौर पर टैक्सपेयर्स पहले से आईटीआर फॉर्म फिल कर देते हैं लेकिन वे सब्मिट नहीं करते हैं। किसी वजह से फॉर्म समय पर सब्मिट नहीं होने से उनका रिटर्न रिजेक्ट हो सकता है। फॉर्म रिजेक्ट होने के बाद फिर पेनाल्टी के साथ रिटर्न फाइल करना होगा।

4. टैक्स कैलकुलेशन में गलती

टैक्स लायबिलिटी के कैलकुलेशन में गलती होने पर भी आईटीआर रिजेक्ट होने की आशंक रहती है। इसलिए रिटर्न फाइल करने से पहले टैक्सपेयर्स को अपनी टैक्स लायबिलिटी का कैलकुलेशन सही तरह से कर लेना चाहिए। उसे डिडक्शन, एग्जेम्प्शन और टैक्स रेट का सही तरह से कैलकुलेशन करना चाहिए। अगर किसी तरह की दिक्कत आ रही है तो टैक्स एक्सपर्ट की सलाह ली जा सकती है।

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5. फॉर्म को वेरिफाय नहीं करना

इनकम टैक्स रिटर्न को सब्मिट करने के बाद उसे वेरिफाय करना जरूरी है। इसे वेरिफाय करने के कई तरीके हैं। इसे आधार से ओटीपी के जरिए वेरिफाय किया जा सकता है। नेटबैंकिंग का इस्तेमाल कर वेरिफाय किया जा सकता है। आईटीआर-वी फॉर्म पर हस्ताक्षर कर इसे बेंगलुरु में सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर को भेजा जा सकता है। अगर आपने आईटीआर फाइल कर दिया और उसे वेरिफाय करना भूल गए तो आपको रिटर्न को इनवैलिड मान लिया जाएगा। आईटीआर को वेरिफाय करने के लिए डेडलाइन तय है।

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