ये समय खेती-किसानी में लगातार बदलाव का है। किसान अब उन फसलों की तलाश में हैं, जिन्हें उगाना आसान हो, लागत कम लगे और मुनाफा अधिक मिले। इसी बदलाव में चुकंदर (Beetroot) एक ऐसी फसल के रूप में उभरकर सामने आई है, जिसने किसानों की कमाई के नए रास्ते खोल दिए हैं। चुकंदर की खासियत ये है कि इसकी मांग बाजार में पूरे साल बनी रहती है, चाहे मौसम कोई भी हो। यही वजह है कि किसान इसे उगाकर लगातार अच्छी आमदनी कमा रहे हैं। कम लागत में तैयार होने वाली इस फसल का उत्पादन भी बेहद आसान है, इसलिए छोटे और सीमांत किसान भी इसे आसानी से उगा सकते हैं। बाजार में चुकंदर की सही कीमत मिलने से किसानों को बेहतरीन मुनाफा मिलता है।
पारंपरिक फसलों की तुलना में चुकंदर कम समय में तैयार हो जाती है, जिससे किसानों के पास एक ही सीजन में ज्यादा उत्पादन और अधिक आय का मौका मिल जाता है। यही कारण है कि आज चुकंदर की खेती किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है।
बाराबंकी के किसान का अनुभव
बाराबंकी जिले के हरख ब्लॉक क्षेत्र के शरीफाबाद गांव के किसान सत्येंद्र यादव ने पारंपरिक फसलों के बजाय चुकंदर और अन्य सब्जियों की खेती शुरू की। डेढ़ बीघे में चुकंदर उगाकर वे एक फसल पर 60-70 हजार रुपए तक का मुनाफा कमा रहे हैं।
लोकल 18 से बात करते हुए सत्येंद्र यादव बताते हैं कि वे मूली, गाजर, गोभी जैसी सब्जियों के साथ चुकंदर भी उगा रहे हैं। एक बीघे की लागत लगभग 4-5 हजार रुपए आती है, लेकिन मुनाफा कई गुना अधिक होता है।
चुकंदर कम लागत और कम समय में तैयार हो जाती है। इसकी खेती केवल 25-30 दिन में पूरी हो जाती है और ये हर दिन बाजार में बेची जा सकती है।
सबसे पहले खेत की गहरी जुताई की जाती है, फिर गोबर जैसी खाद डालकर जमीन को तैयार किया जाता है। इसके बाद बीज बोए जाते हैं और पौधों के बढ़ने पर नियमित सिंचाई की जाती है।
चुकंदर केवल सब्जी के रूप में ही नहीं, बल्कि अन्य उत्पादों में भी इस्तेमाल होती है। इसी कारण इसकी सालभर मांग बनी रहती है और किसानों को अच्छे दाम मिलते हैं।