किसानों के लिए ये एक शानदार अवसर है कि अब बड़े खेत-खलिहान की जरूरत नहीं पड़ती, फिर भी अच्छी कमाई की जा सकती है। यदि आपके पास सिर्फ झोपड़ी या छोटा कमरा है, तब भी आप औषधीय मशरूम की खेती शुरू कर सकते हैं। आजकल बाजार में औषधीय मशरूम की मांग लगातार बढ़ रही है, खासकर शिटाके, इनोकी और किंग ओयस्टर जैसी प्रजातियों की। पारंपरिक खेती की तुलना में मशरूम की खेती कम जगह, कम लागत और कम समय में अधिक आय देती है, इसलिए छोटे और सीमांत किसानों के बीच ये तेजी से लोकप्रिय हो रही है। इ
सके अलावा, मशरूम की खेती में मौसम या बड़े पैमाने की जमीन का बंधन नहीं होता, जिससे किसान इसे आसानी से अपने घर के आसपास शुरू कर सकते हैं। सही तकनीक और प्रशिक्षण के साथ किसान इस खेती से अच्छी आमदनी अर्जित कर सकते हैं और अपने परिवार के लिए स्थिर आर्थिक स्थिति भी बना सकते हैं।
कृषि विश्वविद्यालय से मिलता है उच्च गुणवत्ता वाला बीज
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के एडवांस सेंटर ऑफ मशरूम रिसर्च में औषधीय मशरूम के बीज आसानी से उपलब्ध हैं। इनमें मुख्य रूप से शिटाके, इनोकी और किंग ओयस्टर मशरूम शामिल हैं। इनकी खेती नवंबर से फरवरी के बीच सबसे लाभकारी मानी जाती है। विशेषज्ञ किसान भाइयों को बीज के साथ-साथ पूरी उत्पादन तकनीक भी सिखाते हैं।
कम तापमान में भी आसान और लाभकारी खेती
औषधीय मशरूम की खासियत ये है कि इन्हें सामान्य कमरे या झोपड़ी में भी उगाया जा सकता है। इनके लिए हाईटेक तापमान नियंत्रित कमरे की जरूरत नहीं होती, जबकि अन्य मशरूम की किस्मों में ये जरूरी होता है। छोटे और सीमांत किसानों के लिए ये खेती इसलिए अधिक सुविधाजनक है। डॉ. आर.पी. प्रसाद बताते हैं कि बिहार के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों में भी इस खेती का क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है। सही तकनीक अपनाकर किसान कम खर्च में अधिक उत्पादन कर बेहतर आय अर्जित कर सकते हैं। औषधीय गुणों के कारण इन मशरूम की कीमत सामान्य मशरूम से अधिक होती है, जिससे किसानों की आमदनी और बढ़ जाती है।