Bottle gourd cultivation: इस पीले घोल से लौकी के पास नहीं फटकेंगे कीट-पतगें, होगा तगड़ा मुनाफा

Bottle gourd cultivation: लौकी की खेती करने वाले किसानों को अक्सर फल झड़ने, सड़ने और पौधों के कमजोर होने की समस्या रहती है। इसका मुख्य कारण कीट और फफूंद, खासकर फ्रूट फ्लाई, हैं। यदि समय पर नियंत्रण न किया जाए तो फसल की उत्पादकता 40% तक कम हो सकती है, जिससे नुकसान और मेहनत दोनों प्रभावित होते हैं

अपडेटेड Nov 20, 2025 पर 11:32 AM
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Bottle gourd cultivation: इस पीले घोल को बनाने के लिए नीम की पत्ती, कनेर के पत्ते, लहसुन, हरी मिर्च और हल्दी का उपयोग किया जाता है

लौकी की खेती करने वाले किसानों के लिए फल झड़ना, सड़ना और पौधों का कमजोर होना आम समस्याएं बन चुकी हैं। अक्सर किसानों को लगता है कि मेहनत के बावजूद फसल पूरी तरह स्वस्थ नहीं रहती, और इसका बड़ा कारण है कीट और फफूंद, खासकर फ्रूट फ्लाई का तेजी से फैलना। ये कीट फल की सतह को नुकसान पहुंचाते हैं और अंडे देकर नई पीढ़ी का कारण बनते हैं, जिससे पौधा कमजोर हो जाता है और उत्पादन घटता है। एग्रीकल्चर एक्सपर्ट आलोक कुमार लोकल 18 से बात करते हुए बताते हैं कि यदि समय रहते इन समस्याओं पर नियंत्रण न किया जाए तो लौकी की फसल की उत्पादकता 40% तक कम हो सकती है।

इस वजह से किसानों की मेहनत और लागत दोनों बर्बाद हो सकती हैं। इसलिए पौधों को स्वस्थ बनाए रखना और कीटों पर नियंत्रण रखना हर किसान के लिए बेहद जरूरी हो गया है, ताकि फसल अधिक उपज और मुनाफा दे।

प्राकृतिक समाधान: पीला घोल


इस समस्या का सरल और असरदार तरीका है घर पर तैयार होने वाला पीला घोल। यह पूरी तरह देसी सामग्री से बनता है और कीटों को दूर रखने में बेहद कारगर माना जाता है। पीला घोल खास कर फ्रूट फ्लाई, एफिड, व्हाइट फ्लाई और फफूंद जनित रोगों को रोकने में मदद करता है। लौकी की बेल में फल गिरने का मुख्य कारण यही कीट होते हैं, जो फल की सतह को नुकसान पहुंचाकर अंदर अंडे छोड़ देते हैं।

पीला घोल बनाने की सामग्री

पीला घोल बनाने के लिए इन सामग्रियों का उपयोग किया जाता है:

  • नीम की पत्तियाँ
  • कनेर के पत्ते
  • लहसुन
  • हरी मिर्च
  • हल्दी

इन सभी को पानी में उबालकर या पीसकर 24 घंटे के लिए रखा जाता है ताकि अर्क अच्छी तरह निकल आए। बाद में घोल को छानकर इसमें थोड़ा गोमूत्र या साबुन का घोल मिलाया जाता है, जिससे यह पत्तियों पर अच्छी तरह चिपक सके।

पौधों की सुरक्षा और रोग प्रतिरोधक क्षमता

इस मिश्रण से पौधे न केवल कीटों से सुरक्षित रहते हैं, बल्कि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। पीला घोल बेल के विकास में मदद करता है और फल झड़ने की समस्या को काफी हद तक कम कर देता है।

छिड़काव का सही तरीका

एक्सपर्ट के अनुसार, सप्ताह में एक बार सुबह या शाम के समय पीला घोल का छिड़काव करना सबसे लाभकारी रहता है। लगातार छिड़काव करने से कीट दूर रहते हैं और बेल तेजी से बढ़ती है। इससे पौधे हरे-भरे रहते हैं और बाजार में बिकने योग्य स्वस्थ फल अधिक मिलते हैं।

लागत कम और मुनाफा बढ़े

आलोक कुमार का कहना है कि पीला घोल महंगे रासायनिक कीटनाशकों का प्राकृतिक विकल्प है। इसका नियमित उपयोग मिट्टी की गुणवत्ता भी सुरक्षित रखता है और उत्पादन में 30–40% तक बढ़ोतरी करता है। प्राकृतिक तरीके से पौधों को स्वस्थ रखने का यह तरीका किसानों के लिए बेहद लाभकारी साबित हो रहा है और लौकी की खेती को और अधिक मुनाफे वाली बना रहा है।

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