Cucumber farming: रायगढ़ में खीरे की खेती बनी सोने की खान, किसान कर रहे ताबड़तोड़ कमाई

Cucumber farming: यह कहानी एक ऐसे किसान की है जिसने छोटे से खेत और सीमित साधनों के बावजूद बड़ी सोच के साथ खेती का तरीका बदल दिया। ठरकपुर गांव के छबि लाल राठिया ने अपनी एक एकड़ जमीन से खीरे की खेती शुरू की और उम्मीद से ज्यादा फ़ायदा कमाकर गांव वालों के लिए प्रेरणा बन गए      

अपडेटेड Nov 19, 2025 पर 1:18 PM
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cucumber farming: इस मौसम में पौधों में बीमारियां भी कम लगती हैं, जिसकी वजह से फसल की लागत काफी कम आती है।

जिले के ठरकपुर गांव के किसान छबि लाल राठिया इन दिनों अपनी आधुनिक और कम खर्च वाली खेती के मॉडल को लेकर चर्चा में हैं। उन्होंने अपनी लगभग 1 एकड़ जमीन पर खीरे की खेती कर ऐसा तरीका अपनाया है, जिससे कम लागत में भी बेहतरीन कमाई की जा सकती है। सर्दियों के मौसम में खीरा न सिर्फ तेजी से बढ़ता है बल्कि इस दौरान बीमारियों का खतरा भी काफी कम रहता है, जिसकी वजह से खेती पर होने वाला खर्च अपने आप घट जाता है। राठिया लोकल 18 से बात करते हुए बताते हैं कि सही समय पर पौधारोपण और कम मात्रा में खाद का उपयोग कर भी अच्छी उपज ली जा सकती है।

इसके साथ ही, स्थानीय व्यापारियों से सीधे संपर्क होने के कारण उन्हें बाजार जाने की जरूरत नहीं पड़ती और पूरा माल गांव से ही आसानी से बिक जाता है। उनका यह अनुभव इलाके के कई किसानों के लिए प्रेरणा बन रहा है, जो कम खर्च में अधिक लाभ का रास्ता तलाश रहे हैं।

1. ठरकपुर के किसान की मिसाल


जिले के ठरकपुर गांव के किसान छबि लाल राठिया ने कम लागत और आधुनिक तरीके से खेती कर शानदार मिसाल पेश की है। उन्होंने अपनी करीब 1 एकड़ जमीन पर खीरे की खेती करके अच्छा खासा मुनाफा कमाया है।

2. ठंड में कम खाद, कम बीमारी

राठिया बताते हैं कि सर्दियों में खीरे की फसल को ज्यादा खाद की जरूरत नहीं पड़ती। इस मौसम में पौधों में बीमारियां भी कम लगती हैं, जिसकी वजह से फसल की लागत काफी कम आती है।

3. 45 दिन में शुरू हो जाती है तुड़ाई

खेती शुरू किए 60 दिन हो चुके हैं और उनके मुताबीक खीरे के पौधे लगभग 45 दिनों में फल देना शुरू कर देते हैं। हर एक दिन छोड़कर करीब 8–9 क्विंटल खीरा खेत से निकल रहा है।

4. खीरे की बढ़िया कीमत

बाजार में खीरे की मांग स्थिर बनी हुई है। किसान इसे 30 रुपये प्रति किलो के रेट में बेच रहे हैं। इस भाव पर उन्हें हर तुड़ाई में अच्छी आमदनी हो जाती है।

5. कम खर्च—ज्यादा मुनाफा

खीरे की खेती में उन्होंने बस थोड़ी मात्रा में DAP खाद का इस्तेमाल किया। साथ ही कैल्शियम और COC दवा से पौधों को मजबूत रखा। ठंड के मौसम में अतिरिक्त खाद की जरूरत नहीं होने से खर्च काफी कम हो गया।

6. घर से ही बिक जाता है पूरा माल

राठिया बताते हैं कि स्थानीय व्यापारियों से उनकी सीधी बात बनी रहती है। इसलिए उन्हें बाजार जाने की जरूरत नहीं पड़ती। व्यापारी खुद गांव आकर खीरा खरीद लेते हैं, इससे समय और मेहनत दोनों की बचत होती है।

7. इलाके के लिए प्रेरणा बने राठिया

छबि लाल राठिया की सफलता अब दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा बन गई है। कम बीमारी, कम लागत और लगातार उत्पादन देने वाली खीरे की खेती किसानों की आय बढ़ाने का बेहतरीन जरिया बन रही है।

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