Farming Tips: पपीता-केले की खेती ने बदल दी किसानों की जिंदगी, लाखों में हो रही कमाई! जानें कैसे

Farming Tips: जिले के कई गांवों में पपीता और केले की खेती तेजी से बढ़ रही है। पिछले दस सालों में किसानों ने परंपरागत फसलों से हटकर इन फलों की ओर रुख किया। अब 70-70 हेक्टेयर में पपीता और केला उग रहे हैं। किसानों को खेत में ही फलों की अच्छी कीमत मिल रही है और जीवन में खुशहाली आई है

अपडेटेड Nov 18, 2025 पर 4:03 PM
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Farming Tips: व्यापारी खेत में आकर फसल खरीदते हैं और किसानों को अच्छी कीमत मिलती है।

जिले के कई गांवों के खेत अब पपीता और केले की खेती से सज गए हैं। पिछले दस सालों में किसानों ने परंपरागत फसलों जैसे धान और गेहूं से हटकर फलों की खेती अपनानी शुरू की, जिससे उनकी आय में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई। खासकर पंचदेवरी प्रखंड और कुइसा खुर्द गांव के किसान इस बदलाव के उदाहरण हैं। किसान रामाशंकर पड़ित ने सबसे पहले पपीता और केले की खेती की पहल की, जिससे आसपास के किसानों को भी इस खेती की ओर प्रेरणा मिली। अब जिले में लगभग 70 हेक्टेयर में पपीता और 70 हेक्टेयर में केला की फसल उगाई जा रही है।

पपीता और केले की खेती ने किसानों के जीवन में खुशहाली लाई है। किसानों को खेत में ही फलों की अच्छी कीमत मिल रही है और व्यापारी सीधे खेत में आकर खरीदारी कर रहे हैं। इस बदलाव ने इलाके में बागवानी और आधुनिक खेती को बढ़ावा दिया है।

नई फसल की ओर बढ़ रहा किसानों का रुझान


फलों की खेती से मिलने वाली अच्छी आमदनी को देखकर किसानों में पपीता, केला और चुकंदर जैसी फसलों की ओर रुचि बढ़ रही है। ये बदलाव खासकर पंचदेवरी प्रखंड के कुइसा खुर्द और आसपास के गांवों में देखा जा रहा है।

रामाशंकर पड़ित की पहल

कुइसा खुर्द निवासी किसान रामाशंकर पड़ित ने दस साल पहले पपीता और केले की खेती शुरू की। उनकी इस पहल ने आसपास के किसानों को भी फलों की खेती अपनाने की प्रेरणा दी।

परंपरागत खेती से फलों की खेती की ओर

पहले रामाशंकर पड़ित केवल धान और गेहूं की खेती करते थे, जिससे परिवार की जरूरतें मुश्किल से पूरी होती थीं। मौसम की अनिश्चितता के कारण कई बार लागत भी पूरी नहीं होती थी।

सरकारी योजना और प्रशिक्षण का फायदा

कृषि विभाग की योजना और सिपाया कृषि विज्ञान केंद्र से प्रशिक्षण लेकर रामाशंकर ने साल 2010 में पपीता की खेती शुरू की। धीरे-धीरे पपीता के साथ केला की खेती भी करने लगे।

आय और खुशहाली

पपीता और केले की खेती से रामाशंकर ने पक्का मकान बनवाया और अपने तीन बेटों को अच्छी शिक्षा दिलाई। उन्होंने सोलर पंप लगाया और वर्मी कंपोस्ट भी तैयार किया। अब वे पपीता की नर्सरी भी तैयार कर रहे हैं।

आसपास के गांवों में प्रभाव

रामाशंकर की पहल से पड़ोसी गांव के किसान आतम सिंह बड़े पैमाने पर केला की खेती करने लगे।

50 एकड़ में लहलाती फसल

पंचदेवरी और आसपास के गांवों में अब करीब 50 एकड़ में पपीता और केला की फसल लहलहा रही है। व्यापारी खेत में आकर फसल खरीदते हैं और किसानों को अच्छी कीमत मिलती है।

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