Intercropping Farming: कम मेहनत, ज्यादा मुनाफा! जानें कैसे दो फसलों से बदल सकती है आपकी खेती

Intercropping Farming: सहफसली खेती में एक ही खेत में दो या दो से अधिक फसलें इस तरह उगाई जाती हैं कि वे एक-दूसरे की वृद्धि में बाधा न डालें। इससे किसान कम समय और लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और कीट-खरपतवार का प्रभाव कम होता है

अपडेटेड Nov 16, 2025 पर 3:56 PM
Story continues below Advertisement
Intercropping Farming: गन्ना लंबी अवधि की फसल है और शुरुआती चरण में खेत में जगह खाली रहती है।

सहफसली खेती का मतलब है एक ही खेत में दो या दो से अधिक फसलें इस तरह उगाना कि वे एक-दूसरे की वृद्धि में बाधा न डालें। ये तकनीक किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो रही है क्योंकि इससे समय और लागत दोनों की बचत होती है। पारंपरिक खेती में किसान एक ही फसल उगाते हैं, जिससे किसी भी प्रकार का नुकसान पूरी फसल पर असर डालता है। लेकिन सहफसली खेती में अगर किसी फसल पर रोग, कीट या मौसम का प्रभाव पड़े, तो दूसरी फसल से होने वाला लाभ नुकसान की भरपाई कर देता है। इसके अलावा, खेत में उपलब्ध स्थान, मिट्टी के पोषक तत्व और पानी जैसे संसाधनों का भी बेहतर उपयोग होता है।

दलहनी फसलें जैसे चना मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती हैं, जबकि कुछ फसलें प्राकृतिक रूप से कीट और खरपतवार को रोकती हैं। इस तकनीक को अपनाकर किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं और खेती को ज्यादा सुरक्षित और लाभकारी बना सकते हैं।

सहफसली खेती अपनाने के फायदे


आय में वृद्धि: मुख्य फसल के साथ दूसरी फसल उगाने से प्रति एकड़ कुल आय बढ़ जाती है।

जोखिम प्रबंधन: अगर मौसम या बीमारी के कारण एक फसल खराब हो जाए, तो दूसरी फसल से होने वाला लाभ नुकसान की भरपाई करता है।

संसाधनों का बेहतर उपयोग: खेत में उपलब्ध स्थान, मिट्टी के पोषक तत्व, पानी और सूर्य के प्रकाश का अधिक दक्षता से उपयोग होता है।

मिट्टी की उर्वरता: दलहनी फसलें (जैसे चना) मिट्टी में नाइट्रोजन स्थिरीकरण करती हैं, जिससे मिट्टी उर्वर और मुख्य फसल को लाभकारी होती है।

खरपतवार और कीट नियंत्रण: कुछ फसलें प्राकृतिक रूप से खरपतवार और कीटों के प्रकोप को कम करती हैं।

गन्ना के साथ सहफसली मॉडल

गन्ना लंबी अवधि की फसल है और शुरुआती चरण में खेत में जगह खाली रहती है। इस जगह का उपयोग सहफसली खेती के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, किसान गन्ना + आलू, गन्ना + चना, या गन्ना + सरसों की सहफसली कर सकते हैं। इससे कम समय और लागत में अधिक लाभ मिलता है।

किसानों के लिए महत्वपूर्ण सुझाव

फसलों का चुनाव: ऐसी फसलें चुनें जिनकी ग्रोथ रेट, कटाई समय और पोषण आवश्यकताएं मुख्य फसल से अलग हों।

बुवाई का समय: सहफसली फसल को मुख्य फसल के शुरुआती विकास चरण में ही लगाएं।

उन्नत किस्में: हमेशा उच्च गुणवत्ता वाले बीज और अपनी मिट्टी और जलवायु के अनुकूल उन्नत किस्मों का प्रयोग करें।

विशेषज्ञ सलाह: किसान अपने क्षेत्र की मिट्टी और जलवायु के अनुसार स्थानीय कृषि विभाग या कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से सही सहफसली मॉडल और तकनीक की जानकारी लें।

Agriculture Tips: इस खास तकनीक से चने की खेती करना हुआ आसान, कम लागत में होगी जमकर कमाई

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।