आज खेती सिर्फ परंपरा नहीं, समझदारी और तकनीक के साथ चलाया जाने वाला एक मजबूत बिजनेस मॉडल बन चुकी है। पहले माना जाता था कि कम जमीन में ज्यादा कमाई मुश्किल है, लेकिन अब नए दौर की खेती इस सोच को तेजी से बदल रही है। जो किसान मेहनत के साथ आधुनिक तरीकों को अपनाते हैं, वे छोटी जमीन पर भी बड़ी आय का रास्ता बना लेते हैं। जौनपुर के किसान गिरजाशंकर यादव भी इसी सोच के प्रतीक हैं। उन्होंने अपने काम के प्रति समर्पण और सही फैसलों के दम पर खेती को लाभ का बेहतरीन जरिया बना दिया है। उनकी कहानी दिखाती है कि खेती में सफलता का रास्ता जमीन के आकार से नहीं, बल्कि सोच और रणनीति से तय होता है।
यही वजह है कि आज वे कम संसाधनों में भी शानदार आय अर्जित करते हुए युवाओं के लिए प्रेरणा बन गए हैं—ये साबित करते हुए कि मौका उन्हीं को मिलता है जो बदलाव अपनाने का साहस रखते हैं।
पारंपरिक खेती छोड़ अपनाई आधुनिक तकनीक
पहले गिरजाशंकर पारंपरिक तरीके से खेती करते थे, जिसमें खर्च ज्यादा और फायदा कम होता था। लेकिन कृषि विभाग की सलाह पर उन्होंने ड्रिप सिस्टम (टपक सिंचाई) अपनाया और उनकी खेती पूरी तरह बदल गई। इस सिस्टम से
उन्होंने खेत में खीरा और तरबूज की उन्नत प्रजातियाँ लगाईं जो स्वादिष्ट भी हैं और बाजार में अच्छी कीमत भी देती हैं।
ड्रिप सिस्टम से हर पौधे को बराबर पानी और खाद मिलने से तरबूज की क्वालिटी और उत्पादन दोनों बढ़ गए।
सरकारी योजनाओं से मिली बड़ी मदद
गिरजाशंकर को सरकार की तरफ से ड्रिप सिस्टम पर 70% सब्सिडी मिली। इससे उनकी लागत काफी कम हो गई।
जिला उद्यान अधिकारी सीमा सिंह राणा ने बताया कि सरकार ड्रिप और स्प्रिंकलर सिस्टम पर अनुदान दे रही है। इससे किसानों को पानी की बचत के साथ ज्यादा उत्पादन मिलता है। समय पर आवेदन करने पर सब्सिडी और तकनीकी मदद दोनों मिलती हैं।
अब जिले के किसानों के लिए प्रेरणा बने
शुरुआत में लोग उनकी कम जमीन देखकर मजाक उड़ाते थे, लेकिन आज वही किसान उनके खेत पर तकनीक सीखने आते हैं।
गिरजाशंकर कहते हैं कि अगर किसान नई तकनीक, सब्सिडी और सही जानकारी का उपयोग करें, तो छोटी जमीन में भी अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।
अब वे नेट हाउस लगाने और जैविक उत्पादन की ओर बढ़ रहे हैं, ताकि लागत और घटे और फसल की क्वालिटी और बेहतर हो सके।
जमीन बड़ी नहीं, सोच बड़ी होनी चाहिए
जौनपुर के गिरजाशंकर यादव ने ये साबित कर दिया कि
कम जमीन + सही तकनीक = ज्यादा मुनाफा
यही है उनकी खेती की सफलता का असली मंत्र।