बिहार के रोहतास जिले के किसान विजय कुमार सिंह खेती में नए प्रयोग करके दूसरों के लिए मिसाल पेश कर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में सीजेंटा प्रभेद टमाटर की खेती शुरू की है, जो लगभग 8 फीट तक लंबा बढ़ता है। ये टमाटर रोग प्रतिरोधक होता है और इसका आकार और गुणवत्ता बहुत अच्छी होती है। विजय कुमार के अनुसार, इस किस्म की खेती कम जगह में भी ज्यादा उत्पादन देती है और इसे सही तरीके से उगाने पर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। उन्होंने खेती में सिर्फ जैविक खाद का इस्तेमाल किया है,
जिससे मिट्टी की उर्वरकता बनी रहती है और टमाटर की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। उनका ये अनुभव अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का काम करता है और ये दिखाता है कि सही तकनीक और नए प्रयोग अपनाकर खेती अधिक लाभदायक और आसान बनाई जा सकती है।
सीजेंटा प्रभेद टमाटर की खासियत
विजय कुमार के लोकल 18 से बात करते हुए बताते हैं कि, ये टमाटर की किस्म रोग प्रतिरोधक है, जिससे खेती में बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। इसके साथ ही टमाटर का आकार और गुणवत्ता उच्च स्तर का होता है, जो बाजार में इसकी मांग को बढ़ाता है।
इस किस्म को कम जगह में लगाकर भी ज्यादा उत्पादन हासिल किया जा सकता है। पौधों को सहारा देने के लिए स्कैटिंग की जाती है, जिससे पौधे टूटने से बचते हैं और उत्पादन अधिक होता है। यह तरीका छोटे और बड़े किसानों दोनों के लिए लाभकारी है।
अनुभव के अनुसार, यदि फसल अच्छी होती है, तो 1 बीघा में लगभग 3 लाख रुपये तक की कमाई संभव है। ये साबित करता है कि थोड़े से समझदारी और नए प्रयोगों से खेती बेहद लाभदायक बन सकती है।
विजय कुमार खेती में केवल जैविक खाद का उपयोग करते हैं। इससे मिट्टी की उर्वरकता बनी रहती है और टमाटर की गुणवत्ता उच्च होती है। जैविक खेती न केवल उत्पादन बढ़ाती है, बल्कि स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है।
अन्य किसानों के लिए प्रेरणा
विजय कुमार अन्य किसानों को भी इस किस्म की खेती अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उनका अनुभव दिखाता है कि सही तकनीक और नवाचार के साथ खेती अधिक लाभदायक और कम जोखिम वाली बन सकती है।
विजय कुमार ने धान की खेती छोड़कर केवल टमाटर पर ध्यान देने का निर्णय लिया है। उनका मानना है कि इस किस्म की खेती से अधिक मुनाफा और कम जोखिम दोनों संभव हैं।
बाजार में अच्छी मांग और गुणवत्ता
सीजेंटा प्रभेद टमाटर आकार और गुणवत्ता में बेहतर होते हैं। इसका स्वाद और बनावट बाजार में अधिक मांग वाला है, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ती है और खेती लाभकारी बनती है।