Agriculture tips: गेहूं की बुवाई के समय करें ये छोटा काम, बंपर होगी पैदावार

Agriculture tips: रवि की बोनी के सीजन में किसानों की मेहनत बढ़ जाती है। गेहूं की फसल के साथ अनचाही घास तेजी से उगती है, जो मिट्टी और पानी सोख लेती है। इससे फसल कमजोर होती है और उत्पादन कम हो जाता है। शुरुआती चरण में खरपतवार नियंत्रण से पैदावार 20-30% बढ़ाई जा सकती है

अपडेटेड Nov 19, 2025 पर 10:15 AM
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Agriculture tips: पॉवर वीडर सिर्फ फसली खेतों में ही नहीं, बल्कि बागवानी में भी कारगर है।

रवि की बोनी के मौसम में किसानों की मेहनत दोगुनी-तीन गुनी हो जाती है। इस समय खेत की तैयारी से लेकर फसल की शुरुआती देखभाल तक हर काम बेहद जरूरी और चुनौतीपूर्ण होता है। गेहूं की फसल उगते ही खेत में अनचाही घास भी तेजी से फैलने लगती है, जो मिट्टी का पोषण और पानी खुद में सोख लेती है। इससे फसल कमजोर होती है और उत्पादन अपेक्षित स्तर तक नहीं पहुंच पाता। विंध्य क्षेत्र के कई किसान यही समस्या महसूस करते हैं कि मेहनत और निवेश के बावजूद पैदावार कम रहती है।

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बोनी के शुरुआती 30 दिनों में ही खरपतवार पर नियंत्रण कर लिया जाए, तो गेहूं की पैदावार में 20-30 प्रतिशत तक बढ़ोतरी संभव है। शुरुआती कदम सही हों तो फसल मजबूत होती है और किसानों की मेहनत रंग लाती है।

खरपतवार नियंत्रण की बड़ी चुनौती


बोनी के चरम पर पूरे संभाग में खरपतवार तेजी से उभरता है। संभागीय कृषि अभियांत्रिकी अधिकारी शरद कुमार नारवरे लोकल 18 से बाक करते हुए बताते हैं कि, अनचाही घास सीधे गेहूं की फसल से प्रतिस्पर्धा करती है। ये फसल के लिए डाले गए खाद-पानी को सोख लेती है, जिससे पौधे कमजोर होते हैं और उत्पादन प्रभावित होता है। शुरुआती 30 दिनों में नियंत्रण न होने पर पूरे खेत पर इसका नकारात्मक असर पड़ता है।

रासायनिक और यांत्रिक तरीके

खरपतवार हटाने के दो मुख्य तरीके हैं:

  1. रासायनिक नियंत्रण – खरपतवारनाशक दवाओं का इस्तेमाल। हालांकि, कभी-कभी ये फसल को भी प्रभावित कर सकती हैं।
  2. यांत्रिक नियंत्रण – पारंपरिक तरीके जैसे हंसिया और खुरपी का उपयोग। यह श्रम-साध्य और समय लेने वाला है।

इन चुनौतियों को देखते हुए किसानों को ऐसी मशीन की तलाश थी जो समय और श्रम दोनों बचाए।

पॉवर वीडर

पॉवर वीडर गेहूं की फसल में खरपतवार हटाने और मिट्टी को भुरभुरी बनाने में मदद करता है। ये मिट्टी में हवा का संचार बढ़ाता है और पौधों की जड़ों को पोषक तत्व बेहतर तरीके से उपलब्ध कराता है। मशीन श्रम और समय की बचत करती है। इसके विशेष अटैचमेंट हल्की जुताई और कटाई जैसे काम में भी सहायक हैं।

दो मॉडल

पॉवर वीडर दो मॉडल में उपलब्ध है:

  • राइड ऑन – किसान मशीन पर बैठकर काम करता है।
  • वॉक बिहाइंड – मशीन को पीछे से नियंत्रित किया जाता है।

छोटे किसान वॉक बिहाइंड मॉडल पसंद करते हैं, जबकि बड़े खेत वाले किसान राइड ऑन मॉडल चुनते हैं।

क्षमता, कीमत और सरकारी सब्सिडी

मशीन 5 एचपी से 12 एचपी तक उपलब्ध है। 5 एचपी मॉडल प्रति घंटे 0.5 से 2 एकड़ तक खरपतवार निकाल सकता है। कीमत ₹25,000 से ₹1,00,000 तक है। सरकार कुल 50% तक सब्सिडी देती है (40% केंद्र, 10% राज्य)। आवेदन mpdeg.org के ई-कृषि अनुदान पोर्टल पर किया जा सकता है। आवश्यक दस्तावेजों में आधार, पैन, बी-1 और लिंक मोबाइल नंबर शामिल हैं। ये सब्सिडी एसएमएएम योजना के तहत दी जाती है।

बागवानी में पॉवर वीडर की उपयोगिता

पॉवर वीडर सिर्फ फसली खेतों में ही नहीं, बल्कि बागवानी में भी कारगर है। बड़े पेड़ों के बीच की खाली जगह में उगने वाला खरपतवार आसानी से हटाया जा सकता है। हल्की जुताई में मदद मिलने से बागवानी की उत्पादकता भी बढ़ती है।

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