आज के समय में किसानों के लिए परंपरागत फसलों पर निर्भर रहना आर्थिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो गया है। बदलती मौसम की परिस्थितियों, बाजार में कीमतों की अस्थिरता और लागत बढ़ने की वजह से किसानों को लाभ कम होने की समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसे में नई और लाभकारी फसलों की ओर बढ़ना जरूरी हो जाता है। मोरिंगा या सहजन ऐसी ही फसल है, जो एक सीजन में ही अच्छा मुनाफा दे सकती है और साल में दो बार फल देती है। इसकी खेती न केवल सब्जी उत्पादन के रूप में लाभकारी है, बल्कि इसके पत्तियों की भी बाजार में अच्छी मांग रहती है, जिससे अतिरिक्त आमदनी का मौका मिलता है।
मोरिंगा की बारहमासी PKM-1 वेराइटी किसानों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है। ये फसल कम जगह में भी लगाई जा सकती है और पहले साल से ही पौधों पर अच्छा फलन मिलता है, जिससे आर्थिक रूप से सशक्त होने का अवसर मिलता है।
सालभर फलन वाली PKM-1 वेराइटी
कृषि विशेषज्ञों के मुताबीक मोरिंगा की खेती जून से सितंबर के बीच सबसे उपयुक्त मानी जाती है, लेकिन इसे नवंबर में भी लगाया जा सकता है। खास वेराइटी PKM-1 पूरे साल फलन देती है। इससे किसान न केवल फल, बल्कि पत्तियों की बिक्री से भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
पश्चिम चंपारण जिले के किसान परशुराम सिंह लोकल 18 से बात करते हुए बताते हैं कि, मोरिंगा की खेती कर इसके आर्थिक लाभ का अनुभव साझा किया। उनका कहना है कि बारहमासी मोरिंगा की बुकिंग पहले ही हो जाती है और फार्मा कंपनियां पत्तियों की भी खरीद पहले से कर लेती हैं।
खेत या तालाब की मेढ़ पर खेती संभव
परशुराम सिंह ने 2 हेक्टेयर नर्सरी की मेढ़ पर करीब 1000 मोरिंगा के पौधे लगाए हैं। रोपण के पहले साल से ही हर पौधे में लगभग 15 किलो फलन होता है और साल के दोनों सीजन में इसे लिया जा सकता है।
मोरिंगा के एक पौधे से साल में कुल 30 किलो फलन लिया जा सकता है। इससे किसानों को नियमित मुनाफा मिलने का अवसर रहता है और ये परंपरागत फसलों से अधिक लाभकारी साबित होती है।
बाजार में डिमांड और बिक्री
मोरिंगा की खुदरा कीमत लगभग 100 रुपए प्रति किलो है। दुकानदार इसे किसानों से 50-60 रुपए प्रति किलो की दर से खरीदते हैं। पत्तियों की डिमांड भी सालभर बनी रहती है, जिससे अतिरिक्त आमदनी का रास्ता खुलता है।
यदि किसान 1000 पौधे लगाए, तो सालभर कुल 30,000 किलो मोरिंगा फलन हो सकता है। इसे 50 रुपए प्रति किलो की दर से बेचने पर सालाना लगभग 15 लाख रुपए की आमदनी हो सकती है।
सब्जी और पत्तियों से दोगुना लाभ
मोरिंगा न केवल सब्जी के रूप में लाभ देती है, बल्कि इसके पत्तियों की बिक्री से भी लागत की भरपाई और मुनाफा संभव है। ये किसानों के लिए एक स्थायी और लाभकारी फसल साबित हो रही है।