Bakrid 2025 (Eid-ul-Adha): आज देश भर में मनाई जा रही बकरीद, 'अल्लाह' की लिखावट वाले बकरे बने आकर्षण का केंद्र, 15 लाख तक पहुंची कीमत
Bakrid 2025 in India (Eid-ul-Adha): ईद-उल-अजहा इस बार आज यानी सात जून को मनाई जा रही है। इस त्योहार को ईद-उल-जुहा और बकरीद के नाम से भी जाना जाता है। इस्लामी मान्यता के अनुसार, पैगंबर इब्राहिम अपने बेटे इस्माइल को इसी दिन अल्लाह के हुक्म पर अल्लाह की राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उनके बेटे को जीवनदान दे दिया। वहां एक पशु की कुर्बानी दी गई थी, जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है
Bakrid 2025 in India (Eid-ul-Adha): बकरीद इस्लाम धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है
Bakrid 2025 in India (Eid-ul-Adha): देश भर में आज बकरीद का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। बकरीद को ईद-उल-अजहा और ईद उल जुहा के नाम से भी जाना जाता है। मुस्लिम समुदाय में बकरीद के त्योहार का बेसब्री से इंतजार रहता है। बकरीद कुर्बानी का त्योहार है। इस्लाम धर्म की मान्यता के अनुसार, बकरीद का त्योहार अल्लाह के प्रति निष्ठा और पूर्ण समर्पण जताने के लिए मनाई जाती है। ईद-उल अजहा से पहले मुस्लिम धर्म गुरुओं ने समुदाय से बकरीद पर खुले में या सड़कों पर जानवरों की कुर्बानी नहीं करने और इनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर नहीं डालने की अपील की है।
इस्लामी मान्यता के अनुसार, पैगंबर इब्राहिम अपने बेटे इस्माइल को इसी दिन अल्लाह के हुक्म पर अल्लाह की राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उनके बेटे को जीवनदान दे दिया। उनकी जगह वहां एक पशु की कुर्बानी दी गई थी, जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है। तीन दिन चलने वाले त्योहार में मुस्लिम समुदाय के लोग अपनी हैसियत के हिसाब से उन पशुओं की कुर्बानी देते हैं, जो भारतीय कानूनों के तहत प्रतिबंधित नहीं हैं।
प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एएम) के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने एक बयान में कहा कि मुसलमान कुर्बानी करते समय सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पूरी तरह पालन करें और प्रतिबंधित जानवरों की कर्बानी से बचें। मुसलमानों को ईद-उल-अजहा के मौके पर साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखने की सलाह देते हुए मदनी ने कहा, "जानवरों के अवशेषों को सड़कों, गलियों और नालियों में न फेंकें, बल्कि उन्हे इस तरह से दफन किया जाए कि बदबू न फैले। हर मुमकिन कोशिश की जाए कि हमारे किसी कार्य से किसी को तकलीफ न पहुंचे।"
उन्होंने समुदाय से कहा कि वे कुर्बानी की तस्वीरें-वीडियो सोशल मीडिया आदि पर शेयर करने से बचें। वहीं, दिल्ली स्थित जामा मस्जिद के नायब शाही इमाम सैयद शाबान बुखारी ने एक बयान में लोगों को त्योहार के दौरान अपने इलाकों में सफाई सुनिश्चित करने की सलाह दी। उन्होंने लोगों से कहा कि वह सड़कों या खुले स्थानों पर कुर्बानी करने से बचें। उन्होंने भी लोगों से कुर्बानी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर डालने से बचने का अनुरोध किया।
यूपी में एडवाइजरी जारी
उत्तर प्रदेश के डीजीपी राजीव कृष्ण ने ईद-उल-अजहा के मद्देनजर पूरे राज्य में त्योहार को शांतिपूर्ण और सुरक्षित तरीके से मनाने के लिए व्यापक निर्देश जारी किए है। इन निर्देशों के अनुरूप उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा व्यापक तैयारियां और कार्रवाई की गई है। विज्ञप्ति के अनुसार, कुर्बानी से संबंधित किसी भी नई परंपरा की अनुमति नहीं दी गई है।
इसके अनुसार प्रतिबंधित जानवरों की कुर्बानी पर सख्त प्रतिबंध लगाया जा रहा है। विज्ञप्ति के अनुसार, इसके अलावा, कुर्बानी के बाद अवशेषों के उचित निपटान के लिए नगर निगमों और अन्य संबंधित विभागों के साथ समन्वय स्थापित किया गया है। विज्ञप्ति के अनुसार, पुलिस ने त्योहार से संबंधित सभी स्थलों को सूचीबद्ध कर दिया है।
'अल्लाह' और 'मोहम्मद' की लिखावट वाले बकरे बने आकर्षण का केंद्र
हर साल ईद-उल-अजहा के मौके पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कुर्बानी के लिए अनगिनत जानवर लाए जाते हैं, लेकिन इस बार दो खास बकरे लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। इन बकरों के मालिकों के अनुसार इनकी खासियत यह है कि इनके शरीर पर प्राकृतिक रूप से अरबी भाषा में 'अल्लाह' और 'मोहम्मद' लिखा हुआ दिखाई देता है। हालांकि, इन्हें खरीदना हर किसी के बस की बात नहीं है, क्योंकि एक बकरे की कीमत 15 लाख रुपये और दूसरे की पांच लाख रुपये तय की गई है।
70 और 40 किलोग्राम वजनी ये बकरे उत्तर प्रदेश के शामली और मध्य प्रदेश के भिंड जिले से पुरानी दिल्ली में जामा मस्जिद के पास मीना बाजार पशु मंडी में लाए गए हैं। शामली जिले में नाई का काम करने वाले उस्मान के मुताबिक, घर में पली बकरी ने इस बकरे को जन्म दिया था। घर के कुरान हाफीज़ (कुरान कंठस्थ) बच्चे ने इसके शरीर पर अरबी भाषा में 'अल्लाह' और 'मोहम्मद' लिखा हुआ देखा।
15 लाख तक पहुंची कीमत
उन्होंने पीटीआई को बताया कि 14 महीने के इस खास बकरे का कद लगभग चार फुट और वजन करीब 70 किलोग्राम है। उस्मान ने बताया कि उन्होंने इस बकरे की कीमत 15 लाख रुपये तय की है। उनका दावा है कि बकरे की 13 लाख रुपये की बोली लग चुकी है, लेकिन उन्होंने इस जानवर को बेचा नहीं है। वह इसकी और भी अच्छी कीमत मिलने की उम्मीद कर रहे हैं।
उस्मान के बराबर में खड़े भिंड जिले से आए सब्जी विक्रेता मोहम्मद सलीम ने बताया कि देसी नस्ल के उनके बकरे के गले पर अरबी में 'मोहम्मद' शब्द की आकृति बनी दिखाई देती है। उन्होंने बताया कि बकरे का कद करीब तीन फुट है और वजन 40 किलो है। उनके मुताबिक, उन्होंने 18 महीने के बकरे की कीमत पांच लाख रुपये तय की है और इसके तीन लाख रुपये लग चुके हैं।
सलीम के मुताबिक, यह उनके घर का पालतू बकरा है और उन्हें सोशल मीडिया के जरिए पता चला कि इस तरह के बकरों की बकरीद से पहले ऊंची कीमत मिल जाती है, इसलिए वह इसे बेचने के लिए राजधानी आए हैं। उनका कहना है कि वह बकरे की कीमत में ज्यादा से ज्यादा पांच-10 हजार रुपये ही कम करेंगे।
बकरीद पर सक्षम मुसलमान अल्लाह की राह में बकरे या अन्य पशुओं की कुर्बानी देते हैं। इसके लिए हर साल उत्तर प्रदेश के बरेली, अमरोहा, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, बदायूं के अलावा हरियाणा और राजस्थान से भी बकरा व्यापारी दिल्ली के अलग-अलग इलाके में लगने वाली बकरा मंडियों का रुख करते हैं।