अपराजिता एक ऐसा फूल जिसे हिंदू धर्म में काफी शुभ माना जाता है । इसकी नीली बेल देवी दुर्गा, लक्ष्मी और भगवान विष्णु को अर्पित की जाती है।
वास्तुशास्त्र के हिसाब से सही दिशा और देखभाल से यह पौधा घर में खुशहाली, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा लाता है। इसे घर में ऐसे कहीं भी नहीं लगा सकते हैं इस फूल के साथ कई मान्यताएं जुड़ी हैं तो आइए जानते हैं इसे रखने की पूरी विधि।
अपराजिता फूल क्लिटोरिया टरनेटिया परिवार का हिस्सा है। इस ब्राइट नीले फूलों की बेल तेजी से बढ़ती है, जिसकी ऊंचाई 1–2 मीटर हो सकती है। इसके फूल सुंदर नीले रंग के, पीले निशानों वाले होते हैं। यह पौधा नाइट्रोजन‑फिक्सिंग भी होता है और सजावटी रूप में उगाने योग्य है।
वास्तुशास्त्र के अनुसार इसे उत्तर‑पूर्व ईशान कोण, उत्तर, या पूर्व दिशा में लगाना शुभ होता है। इन दिशाओं को सकारात्मक ऊर्जा, लक्ष्मी और कुबेर की दिशा माना जाता है।
आप इसे मुख्य द्वार के दाहिनी ओर गमले में रख सकते हैं। यह घर में सकारत्मक प्रवेश और समृद्धि को बढ़ाता है। इस पौधे को गुरुवार या शुक्रवार को लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे घर में आर्थिक और मानसिक संतुलन आता है। (
इस बात का ध्यान रखें कि पौधे का स्थान हमेशा साफ रखें। सूखा हुआ पौधा तुरंत निकाल दें। नियमित रूप से पानी दें, सूखने से बचाएं।
इसके फूल भगवान शिव, विष्णु, लक्ष्मी और दुर्गा की पूजा में उपयोगी माने जाते हैं। शनिदेव को यह विशेष प्रिय फूल माना जाता है, जिससे शनि दोष में राहत मिलती है।
यदि पौधा मुरझाया जैसा हो जाए या बेल धीमी वृद्धि कर रही हो, तो उसे हटाना ही बेहतर है। नियमित पोषण, मिट्टी, जल और धूप का ध्यान रखना काफी जरूरी है।
अपराजिता का पौधा सिर्फ एक सजावटी फूल नहीं बल्कि यह आस्था, सकारात्मक ऊर्जा और वास्तु के अनुसार घर की उन्नति का प्रतीक है।
घर में वास्तु के अनुसार अपराजिता का पौधा लगाना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसे में इस पवित्र पौधे को सही दिशा में रखना बेहद महत्वपूर्ण माना गया है।
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