Shani Margi 2025: कर्मफल दाता शनि को न्यायप्रिय ग्रह माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में इनका अहम स्थान है। सबसे धीमी चाल से चलने वाला ये ग्रह एक राशि में ढाई साल रहता है। शनि अपने स्वभाव के अनुसार हर जातक को उसके कर्मों के आधार पर फल देते हैं। यही कारण है कि शनि की चाल में होने वाला कोई भी परिवर्तन चाहे वह गोचर हो, वक्री या मार्गी होना देश-दुनिया और मानव जीवन पर गहरा प्रभाव डालता है। शनिदेव इस समय ने गुरु की राशि मीन में वक्री हैं। शनि जून 2027 तक इसी राशि में रहेंगे। इस दौरान इनकी चाल में समय-समय पर परिवर्तन होता रहेगा, जिससे विभिन्न राशियां प्रभावित होंगी। जुलाई में वक्री हुए शनि लगभग 138 दिनों तक उल्टी चाल चलने के बाद 28 नवंबर को मार्गी होंगे यानी सीधी चाल से चलेंगे। 28 नवंबर 2025 को सुबह 9:20 बजे शनि मीन राशि में मार्गी हो जाएंगे। ऐसे में कुछ राशि के जातकों के रुके हुए कार्य गति पकड़ते हैं और किस्मत साथ देने लगती है।
मकर : मकर राशि के जातकों के लिए शनि का मार्गी होना तृतीय भाव में होगा। इनके लिए ये बदलाव अत्यंत शुभ परिणाम देने वाला साबित हो सकता है। मकर राशि के जातकों के जीवन में खुशियों का आगमन होगा, रुके हुए कार्य पूरे होंगे और उत्साह में वृद्धि देखने को मिलेगी। शनि देव का पंचम, नवम और द्वादश भाव पर दृष्टि डालना आपके जीवन में कई सकारात्मक परिवर्तन लेकर आएगा। इस दौरान आप छोटी-छोटी यात्राएं कर सकते हैं, जो लाभदायक सिद्ध होंगी हों। कुछ जातकों को विदेश यात्रा या विदेश से जुड़े कामों में भी सफलता मिल सकती है। भाई-बहनों के साथ संबंधों में मधुरता बढ़ेगी और पारिवारिक वातावरण सुखद रहेगा।
मीन राशि : शनि मीन राशि के लग्न भाव में मार्गी होंगे। इस राशि में शनि की साढ़े साती का पहला चरण चल रहा है। ऐसे में शनि के मार्गी होने से कुछ क्षेत्रों में अच्छा लाभ मिल सकता है। शनि के मार्गी होने के बाद करियर में रुके हुए कार्य तेजी से पूरे होंगे। मार्गी शनि के प्रभाव से अब आय में सुधार होगा, आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और जमा पूंजी बढ़ाने के अवसर मिलेंगे। मानसिक ऊर्जा में वृद्धि होगी, आत्मविश्वास लौटेगा और दैनिक जीवन में संतुलन आएगा।
कर्क राशि : शनि देव कर्क राशि वालों की कुंडली में नवम भाव में हैं और इसी भाव में मार्गी होंगे। शनि की तीसरी दृष्टि एकादश भाव पर, सातवीं दृष्टि तीसरे भाव पर और दशम दृष्टि छठे भाव पर पड़ रही है। अब जब शनि मार्गी होंगे और लग्न में स्थित बृहस्पति की दृष्टि शनि पर पड़ेगी, तब भाग्य का साथ मिलेगा। गुरु धर्म, भाग्य और ज्ञान के कारक हैं, इसलिए उनके प्रभाव से कर्क राशि जातकों को पुनः प्रगति, स्थिरता और सफलता का मार्ग दिखाई देगा। पिछले तीन वर्षों से ढैया, पिशाच योग और वक्री शनि के कारण जो तकलीफें, मानसिक तनाव और रुकावटें बनी आ रही थीं, वे अब धीरे-धीरे दूर होने लगेंगी।