Bullet Train: भारत जल्द ही जापान से अपनी पहली बुलेट ट्रेन प्राप्त करने वाला है। देश में पहली बुलेट ट्रेन अहमदाबाद और मुंबई के बीच चलेगी। यह ट्रेन 508 किलोमीटर की कुल दूरी को सिर्फ 2 घंटे में 308 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तय करेगी, जिससे यात्रियों के लिए यात्रा बहुत आसान और तेज हो जाएगी। इस परियोजना में जापान की अगली पीढ़ी की E10 शिंकानसेन ट्रेनों का यूज किया जाएगा, जो 2030 के आसपास भारत और जापान में एक साथ शुरू होंगी।
मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन कॉरिडोर ठाणे, वापी, सूरत, बिलिमोरा, वडोदरा, नडियाद आनंद और अहमदाबाद जैसे शहरों को कवर करेगा। आपको बता दें कि शिंकानसेन तकनीक पर बेस्ड भारत का पहला बुलेट ट्रेन कॉरिडोर स्पीड, सेफ्टी और रिलायबिलिटी के नए स्टैंडर्ड स्थापित करेगा।
जब जापानी इंजीनियरों के सामने आई बड़ी चुनौती
1950 के दशक में जापानी इंजीनियरों को शिंकानसेन को डिजाइन करते समय एक बड़ी चुनौती शिकार दोलन का सामना करना पड़ा था। यह हाई स्पीड पर डिब्बों का खतरनाक तरीके से एक तरफ से दूसरी तरफ हिलना था। 200 किमी/घंटा की गति तक पहुंचने के लक्ष्य के साथ ये कंपन पटरी से उतरने का एक गंभीर खतरा पैदा कर रहे थे। इस समस्या को हल करने के लिए, जापानी इंजीनियरों ने तादात्सी मात्सुदाइरा से संपर्क किया, जिन्हें लड़ाकू विमानों में कंपन को नियंत्रित करने का अनुभव था।
मात्सुदाइरा ने पाया कि इस दोलन के पीछे सिर्फ पहियों का डिजाइन ही नहीं, बल्कि सस्पेंशन सिस्टम भी जिम्मेदार था, जो जबरदस्त साइड-टू-साइड कंपनों को अवशोषित करने में असमर्थ था। इसका हल उन्होंने एक नए प्रकार के एयर स्प्रिंग के रूप में निकाला, जो लंबवत और समानांतर दोनों तरह के कंपनों को ऑब्जर्व करने में सक्षम था।
भूकंप के दौरान भी होगी सुरक्षित
जापान में अक्सर भूकंप आते रहते है। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या शिंकानसेन जैसी हाई-स्पीड ट्रेनें ऐसे हादसों के दौरान पटरी से उतर सकती है? आपको जानकर हैरानी होगी कि शिंकानसेन ने भूकंप के कारण पटरी से उतरने या टकराव से एक भी यात्री की मौत नहीं होने का रिकॉर्ड बनाए रखा है। यह लेटेस्ट सेफ्टी सिस्टम के कारण संभव हुआ, जैसे अर्जेन्ट अर्थक्वेक डिटेक्शन एंड अलार्म सिस्टम (URDAS), जो तेज झटके आने से कुछ सेकंड पहले ट्रेनों को स्वचालित रूप से रोक सकता है।