India-UK FTA: लग्जरी कारें भारत में अब होंगी सस्ती, भारत-यूके FTA से होगा बड़ा बदलाव
भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के बीच होने वाला फ्री-ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) लग्जरी कारों की बिक्री के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। इस समझौते के बाद इन कारों पर लगने वाला टैरिफ 10 साल में 50% तक घट जाएगा। वहीं, इसका सबसे ज्यादा फायदा जैगुआर लैंड रोवर (JLR) को मिलेगा।
India-UK FTA: भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के बीच होने वाला फ्री-ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) लग्जरी कारों की बिक्री के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। इस समझौते के बाद इन कारों पर लगने वाला टैरिफ 10 साल में 50% तक घट जाएगा। वहीं, इसका सबसे ज्यादा फायदा जैगुआर लैंड रोवर (JLR) को मिलेगा। इसके साथ ही एस्टन मार्टिन (जिसने 2024 में भारत में 25 से भी कम कारें बेचीं), रोल्स रॉयस और मैकलेरन जैसी कंपनियों को भी इसका फायदा होगा।
बता दें कि JLR भारत में अपनी 60% कारें यहीं बनाता है। ये कारें पूरी तरह नॉक्ड डाउन (CKD) यूनिट्स के रूप में बनती हैं। कंपनी अगले साल तमिलनाडु प्लांट में लोकल असेंबली शुरू करने की तैयारी कर रही है। फिलहाल JLR भारत के पुणे प्लांट में रेंज रोवर, रेंज रोवर स्पोर्ट, वेलार और इवोक मॉडल तैयार करता है। CKD यूनिट्स पर सिर्फ 15% कस्टम ड्यूटी लगती है।
JLR की डिफेंडर कार को भारत में असेंबल करने की भी योजना पर विचार हो रहा है। अभी यह कार कंपनी के स्लोवाकिया प्लांट में बनती है, जो भारत-यूके FTA के दायरे में नहीं आता।
लग्जरी कारें 50% तक सस्ती हो सकती हैं
इंजन टाइप के हिसाब से कोटा और ड्यूटी स्ट्रक्चर अलग होते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रिटिश लग्जरी कारों की कीमतें 50% या उससे ज्यादा घट सकती हैं। हालांकि, इंडस्ट्री अभी इस समझौते की बारीकियों को समझ रही है। 2022 से अब तक मैकलेरन ने भारत में लगभग 50 गाड़ियां बेची हैं, जबकि 2023 में रोल्स रॉयस की करीब 60 गाड़ियां बिकीं (अभी नया डेटा उपलब्ध नहीं है)।
कंपनियों की प्रतिक्रिया
JLR के प्रवक्ता ने कहा, हम इस FTA का स्वागत करते हैं। समय के साथ यह समझौता JLR की लग्जरी गाड़ियों के लिए भारतीय बाजार में कम टैरिफ का रास्ता खोलेगा। भारत हमारे ब्रिटिश निर्मित प्रोडक्ट्स का एक महत्वपूर्ण बाजार है और यहां विकास की काफी संभावनाएं हैं।
इंपोर्टेड गाड़ियों की कीमतों में बदलाव को लेकर एक यूके के प्रवक्ता ने कहा, अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
रेंज रोवर के ग्लोबल मैनेजिंग डायरेक्टर मार्टिन लिम्पर्ट ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था कि डिफेंडर भारत में एक बहुत सफल कार रही है, इसलिए लोकल प्रोडक्शन पर विचार करना हमारे लिए ठीक है। इस समय JLR की कुछ हाई वैल्यू स्पोर्ट्स गाड़ियां पूरी तरह से बनी हुई यूनिट्स (CBUs) के रूप में भारत लाई जाती हैं और इन्हें FTA का सीधा फायदा मिलेगा।
महिंद्रा और मारुति को भी फायदा
वे कंपनियां जो CKD और CBU दोनों तरह की गाड़ियां बेचती हैं, उन्हें इस समझौते का लाभ मिलेगा।
महिंद्रा एंड महिंद्रा और मारुति सुजुकी जैसी भारतीय ऑटो कंपनियां, जिनकी यूरोप में योजनाएं हैं, वे भी इससे फायदा उठाएंगी। मारुति फिलहाल यूके में eVitara बेचती है।
महिंद्रा ग्रुप CEO ने क्या कहा?
महिंद्रा ग्रुप के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर अनीश शाह ने कहा, हम मानते हैं कि इस तरह की क्रॉस-बॉर्डर साझेदारियां आर्थिक संभावनाओं को बढ़ावा देती हैं, अच्छी नौकरियां पैदा करती हैं और ग्रीन मोबिलिटी, क्लीन एनर्जी, डिजिटल टेक्नोलॉजी और एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग जैसे भविष्य उन्मुख क्षेत्रों में तेजी लाती हैं। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे भारतीय उद्योग ग्लोबल हो रहा है, हम यूके-इंडिया साझेदारी के इस नए अध्याय में सार्थक योगदान देने के लिए तैयार हैं।
ACMA ने समझौते का स्वागत किया
ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ACMA) ने इस समझौते का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई कि यह भारत और ब्रिटेन की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के बीच बाजार पहुंच, तकनीकी साझेदारी और वैल्यू चेन इंटीग्रेशन को मजबूत करेगा।
ACMA की अध्यक्ष श्रद्धा सूरी मारवाह ने कहा कि इस डील से भारतीय ऑटो कंपोनेंट सेक्टर को काफी फायदा होगा। इससे निर्यात के नए अवसर, आसान रेग्युलेटरी प्रक्रियाएं और खासकर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, प्रिसिजन इंजीनियरिंग और हल्के मटीरियल्स जैसे क्षेत्रों में प्रगति होगी।