भारत का सालाना बजट पहली बार 50 लाख करोड़ रुपये (580 अरब डॉलर) के पार कर गया। यह रकम मौजूदा वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान से 7 पर्सेंट ज्यादा है। मौजूदा वित्त वर्ष 31 मार्च 2025 को खत्म हो रहा है। इस बजट का तकरीबन 24 पर्सेंट हिस्सा बॉरोइंग के जरिये पूरा किया जाएगा। साथ ही, अन्य 24 पर्सेंट हिस्सा बॉरोइंग पर ब्याज का भुगतान करने और रिटायर्ड सरकारी एंप्लॉयीज को पेंशन देने में खर्च होगा।
सरकारी खर्च का सबसे बड़ा हिस्सा डिफेंस है, जिसे बजट आवंटन में 4.91 लाख रुपये मिले हैं। इसके बाद आवंटन के मामले में ग्रामीण विकास (2.66 लाख करोड़ रुपये) और गृह विभाग (2.33 लाख करोड़ रुपये) का नंबर है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इनकम टैक्स स्लैब में भी बदलाव का ऐलान किया है। इससे वेतनभोगी एंप्लॉयीज पर टैक्स का बोझ कम हुआ है, जिससे सरकार का अतिरिक्त 1 लाख रुपये का खर्च होगा। टैक्स में कटौती के बावजूद बजट में आगामी फाइनेंशियल ईयर के दौरान इनकम टैक्स रेवेन्यू में 14% ग्रोथ का अनुमान जताया गया है।
मार्च 2017 के आखिर में सरकार का सालाना खर्च 19.7 लाख करोड़ रुपये था। तब से लेकर अब तक इसमें ढाई गुना से भी ज्यादा की बढ़ोतरी रही है और यह आंकड़ा 50 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। साथ ही, इसी अवधि में सरकार के कुल रेवेन्यू में 2.3 पर्सेंट की बढ़ोतरी रही है।