Wholesale Inflation: फेस्टिव सीजन से पहले थोक महंगाई की रफ्तार बढ़ रही है और अगस्त महीने में चार महीने के हाई पर पहुंच गई। आज कॉमर्स मिनिस्ट्री की तरफ से इसके आंकड़े सामने आए हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक पिछले महीन अगस्त में सालाना आधार पर 0.52% की रफ्तार से बढ़ी। पिछले साल की समान अवधि यानी अगस्त 2024 में यह (-) 0.58% पर थी। वहीं जुलाई 2025 में भी यह निगेटिव जोन में (-) 0.58% पर था जो कि दो साल का निचला स्तर था। इससे पहले जून महीने में यह 20 महीने के निचले स्तर (-) 0.13 पर था। सरकार का कहना है कि अगस्त 2025 में इंफ्लेशन के पॉजिटिव में आने की मुख्य वजह खाने-पीने की चीजों, मैन्युफैक्चरिंग, नॉन-फूड प्रोडक्ट्स, नॉन-मेटलिक मिनरल प्रोडक्ट्स और ट्रांसपोर्ट इक्विपमेंट इत्यादि की कीमतों में तेजी है।
थोक भाव पर आधारित होलसेल प्राइस इंडे्स (WPI) उन सामानों की कीमतों में बदलाव को मापता है जिन्हें कंपनियां अन्य कंपनियों को थोक में बेचती हैं। सीपीआई (कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स) कंज्यूमर्स के लिए गुड्स और सर्विसेज के भाव को ट्रैक करता है, जबकि डब्ल्यूपीआई खुदरा भाव से पहले फैक्ट्री लेवल पर भाव को ट्रैक करता है। मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री डब्ल्यूपीआई को जारी करती है। इस इंडेक्स के तहत कमोडिटीज तो तीन कैटेगरी में रखा जाता है- प्राइमरी आर्टिकल्स ( जिसे फिर फूड और नॉन-फूड ऑर्टिकल्स में बांटा जाता है), तेल और पावर और मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स। इस इंडेक्स के लिए बेस वर्ष 2011-12 है।
अगस्त में कितनी घटी-बढ़ी कीमतें?
जुलाई 2025 की तुलना में नॉन-फूड आर्टिकल्स की कीमतें अगस्त में 2.92%, मिनरल्स की 2.66% और फूड आर्टिकल्स की 1.45% बढ़ी। वहीं दूसरी तरफ क्रूड पेट्रोलियम और नेचुरल गैस की 0.43%, इलेक्ट्रिसिटी की 2.91% और मिनरल ऑयल की 0.07% घटी। कोयले की कीमतें जुलाई महीने के ही लेवल पर बनी रही।