पंकज यादव की कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है जो सोचते हैं कि वक्त या परिस्थितियां अपनी मंजिल तक पहुंचने में बाधा बन जाती हैं। पंकज ने तीन विषय फेल होने के बाद जब अपने शिक्षक से सुनाया कि अगर 60% अंक ला दो तो कुछ भी हासिल कर सकते हो, तो उन्होंने इसे चुनौती मान लिया। पिता के भरसक समर्थन से उन्होंने दुकान के एक कोने में पढ़ाई का ठिकाना बनाया और दिन-रात मेहनत शुरू की।
30 साल की उम्र में, एक सफल इलेक्ट्रिकल इंजीनियर और परिपूर्ण परिवार वाले पंकज ने महसूस किया कि अभी भी उनके सपनों में कुछ अधूरा है। यूपी और बिहार में नागरिक सेवा की चाह रखने वालों की कहानी उनके मन में घर कर गई। उन्होंने सरकारी नौकरी की तैयारी शुरू की, बिना किसी कोचिंग या फॉर्मल ट्रेनिंग के।
पहले प्रयास में असफलता मिली, फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। सोशल मीडिया और व्यर्थ की बातों से दूर रहकर पंकज ने सात विभिन्न राज्य की सेवा परीक्षाएं सफलतापूर्वक पास कीं। उनकी सबसे बड़ी ताकत थी लगन, दृढ़ संकल्प और अनुशासन। उनका मानना है कि यदि जज्बा मजबूत हो तो उम्र या परिस्थिति कभी बाधा नहीं होती।
आज पंकज यादव उन लोगों के लिए मिसाल हैं, जो सोचते हैं कि वे बहुत बड़े हैं या व्यस्त हैं। उनकी कहानी यह संदेश देती है कि अगर आप अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित हैं तो असंभव भी संभव हो जाता है।
पंकज जैसे लोग यह साबित करते हैं कि कठिनाइयां हमें बांधती नहीं, बल्कि मजबूत बनाती हैं। उनकी मेहनत और सफलता की कहानी हर युवा के लिए आशा और उत्साह का स्रोत है।