Bihar Election 2025: 5 दिन, 10 जिले और 22 खास सीटें, तेजस्वी यादव ने बिहार में खेला बड़ा खेल!

Bihar Chunav 2025: पहली नजर में, तेजस्वी की यह यात्रा उनके राजनीतिक व्यक्तित्व को मजबूत करने की कोशिश लगती है। महागठबंधन में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में उनकी आधिकारिक समर्थन की कमी ने उनकी महत्वाकांक्षा को ठेस पहुंचाई हो सकती है। ऐसे राजनीतिक माहौल में, जहां छवि ही एक बड़ी ताकत होती है

अपडेटेड Sep 22, 2025 पर 7:41 PM
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Bihar Election 2025: 5 दिन, 10 जिले और 22 खास सीटें, तेजस्वी यादव ने बिहार में खेला बड़ा खेल!

भारत की राजनीति में अक्सर गठजोड़ और समझौते तेजी से बदलते रहते हैं, लेकिन इस बार बिहार में तेजस्वी यादव की नई राजनीतिक पहल ने सबका ध्यान खींचा है। तेजस्वी यादव, जो राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता और महागठबंधन के अध्यक्ष हैं, ने हाल ही में एक अहम कदम उठाया है। राहुल गांधी के साथ 16 दिन तक चली 'वोटर अधिकार यात्रा' के तुरंत बाद, उन्होंने अपनी पांच दिवसीय 'बिहार अधिकार यात्रा' शुरू की। इस पहल ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या यह सिर्फ अहंकार की बात है या यह चुनावी रणनीति का एक सोचा-समझा हिस्सा है।

पहली नजर में, तेजस्वी की यह यात्रा उनके राजनीतिक व्यक्तित्व को मजबूत करने की कोशिश लगती है। महागठबंधन में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में उनकी आधिकारिक समर्थन की कमी ने उनकी महत्वाकांक्षा को ठेस पहुंचाई हो सकती है। ऐसे राजनीतिक माहौल में, जहां छवि ही एक बड़ी ताकत होती है, तेजस्वी ने सीधे जनता से जुड़कर अपनी अपेक्षित भूमिका को स्पष्ट करने की कोशिश की।

RJD के मजबूत किले हैं ये इलाके


लेकिन इस यात्रा को केवल अहंकार का प्रदर्शन समझना गलत होगा। इस पांच दिन की यात्रा का मार्ग बहुत रणनीतिक था। तेजस्वी यादव ने बिहार के दस जिलों जैसे जहानाबाद, नालंदा, पटना, बेगूसराय, और मधेपुरा समेत कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों का दौरा किया। यह इलाके RJD के मजबूत किले हैं, जिन्हें 'वोटर अधिकार यात्रा' में शामिल नहीं किया गया था। इन 22 विधानसभा क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करके वे अपने पार्टी के आधार को फिर से मजबूत करना चाहते हैं।

ये इलाके केवल भूगोलिक जगह नहीं हैं, बल्कि पार्टी के वोट बैंक का जीवंत हिस्सा हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में, RJD ने इस क्षेत्र की 38 सीटों में से 22 जीतीं, जो 2010 के मुकाबले तीन गुना ज्यादा है। ये आंकड़े यह दर्शाते हैं कि तेजस्वी की रणनीति सफल रही है।

RJD की ताकत केवल चुनावी जीत तक सीमित नहीं है, बल्कि ये पार्टी बिहार के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य से गहराई तक मौजूद है। खासकर यादव, मुस्लिम और अन्य पिछड़े समुदायों के बीच इसकी गहरी पैठ है। तेजस्वी की यह यात्रा सिर्फ चुनावी रैलियों का स्वरूप नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता की प्रतिबद्धता की पुष्टि है।

तेजस्वी यादव की राजनीतिक पहचान का हिस्सा

यह यात्रा बिहार में तेजी से बढ़ रहे सामाजिक-राजनीतिक तनाव के बीच एक मजबूती की कहानी भी है। 2025 के विधानसभा चुनाव करीब हैं, और इस बीच तेजस्वी ने सक्रिय होकर अपने समर्थकों को एकजुट करने और जनता के बीच अपनी छवि मजबूत करने का प्रयास किया है। उनकी यह पहल जनसंपर्क और जवाबदेही का उदाहरण है, जो बिहार के चुनौतियों भरे राजनीतिक माहौल में महत्वपूर्ण पहचान बन चुकी है।

यह पांच दिन की यात्रा न सिर्फ विधानसभा चुनाव की रणनीति का हिस्सा है, बल्कि तेजस्वी यादव की राजनीतिक पहचान और नेतृत्व क्षमता का एक साफ संकेत भी है। वह अपने पिता लालू प्रसाद यादव की विरासत को जारी रखते हुए जनता के बीच सीधे जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

महागठबंधन में RJD का बड़ा प्रभाव है और 2015 के चुनाव में गठबंधन ने जो जीत हासिल की थी, वो स्थानीय संगठन, उम्मीदवारों और सामाजिक गठजोड़ का नतीजा था। 2020 में JDU के NDA में शामिल होने के बाद भी RJD ने अपनी 22 सीटों को बनाए रखा, जो इसकी मजबूत स्थिति को दर्शाता है। तेजस्वी की यह यात्रा इन सफलताओं को जारी रखने और प्रतिस्पर्धी क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश है।

आखिर में कहा जा सकता है कि तेजस्वी यादव की 'बिहार अधिकार यात्रा' राजनीतिक महत्वाकांक्षा, रणनीतिक आवश्यकता और पहचान की खोज का मिश्रण है। यह सिर्फ एक चुनावी प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि एक सोच-समझकर लिया गया राजनीतिक निर्णय है, जो बिहार के जटिल राजनीतिक परिदृश्य में उनकी वर्तमान और भविष्य की भूमिका को सक्षम बनाता है।

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