Bihar Assembly Elections: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर इलेक्शन कमीशन (ECI) ने अब 'जीरो टॉलरेंस' वाला मोड ऑन कर लिया है। आयोग ने एक और ऐसा कड़क नियम निकाला है कि राजनीतिक पार्टियों के पब्लिसिटी मैनेजरों की नींद उड़ जाएगी। अब चुनाव से ठीक पहले अखबारों में अपनी मर्जी से मनचाहा विज्ञापन छपवाना आसान नहीं, बल्कि लगभग नामुमकिन हो गया है। आइए आपको बताते हैं ECI ने किस चीज कर लगा दिया है बैन।
ECI ने क्यों उठाया यह कदम?
अक्सर होता क्या है कि वोटिंग से ठीक एक दिन पहले विरोधी पार्टी के खिलाफ कोई झूठा या भ्रामक विज्ञापन छपवा दिया जाता है। चूंकि अगले दिन वोटिंग होती है, इसलिए पीड़ित पार्टी को सफाई देने का टाइम ही नहीं मिल पाता था। अब ECI ने साफ कह दिया है कि मतदान वाले दिन और उससे ठीक एक दिन पहले कोई भी पार्टी या उम्मीदवार बिना MCMC (मीडिया प्रमाणन और निगरानी समिति) की प्री-सर्टिफिकेशन के अखबारों में कोई ऐड नहीं छपवाएगा। ECI ने यह बड़ा फैसला इसलिए लिया है ताकि मतदाताओं को गुमराह करने वाली कोई चाल अंतिम समय में न चल सके।
एड छपवाने का नया नियम और डेडलाइन
MCMC पूरे राज्य और जिला स्तर पर बैठी हुई है और अब उसकी 'हां' के बिना, अखबारों में एक लाइन भी छप नहीं सकती। अगर किसी पार्टी को कोई विज्ञापन छपवाना ही है, तो उन्हें छापने की तारीख से कम से कम दो दिन (48 घंटे) पहले MCMC के सामने आवेदन जमा करना होगा। यह टाइम इसलिए दिया गया है ताकि MCMC इत्मीनान से हर शब्द को पढ़ सके और यह जांच सके कि यह किसी के खिलाफ 'गलत प्रचार' तो नहीं है।
चुनाव आयोग का 'चेक एंड बैलेंस'
ECI का यह कदम केवल 'झूठ' को रोकने के लिए नहीं, बल्कि पैसों के मनमाने इस्तेमाल पर लगाम कसने के लिए भी है। नए नियम से विज्ञापन छपवाने का सारा हिसाब-किताब भी MCMC के पास आ जाएगा, जिससे चुनाव में 'काला धन' के बेहिसाब इस्तेमाल पर रोक लगेगी। MCMC कमेटियां अब दिन-रात एक्टिव हैं और उनका काम यही सुनिश्चित करना है कि बिहार का चुनाव बिल्कुल स्वच्छ, निष्पक्ष और ईमानदारी से हो।
बिहार में विधानसभा चुनाव 2 फेज में होना है। पहले फेज के लिए 6 नवंबर को वहीं दूसरे फेज के लिए 11 नवंबर को वोटिंग होनी है। वोटों की गिनती 14 नवंबर को होगी।