Bihar Chunav 2025: मोकामा में अब भी असरदार 'छोटे सरकार', जेल जाने से अनंत सिंह को होगा बिहार चुनाव में फायदा!

Bihar Election Mokama Assembly Seat: करीब 20 सालों से अनंत सिंह और उनका परिवार इस सीट पर प्रभावशाली रहा है, जहां उनका दबदबा ताकत और जनसंपर्क दोनों पर टिका रहा। उनके जेल जाने के बाद विरोधियों को प्रचार का मौका मिला और विपक्ष का जोश बढ़ गया

अपडेटेड Nov 04, 2025 पर 6:30 PM
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Bihar Chunav 2025: मोकामा में अब भी असरदार 'छोटे सरकार', जेल जाने से होगा बिहार चुनाव में फायदा!

नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) के कद्दावर नेता और मोकामा से पूर्व विधायक अनंत सिंह की गिरफ्तारी ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। अनंत सिंह पर गैंगस्टर से नेता बने दुलार चंद यादव की हत्या का आरोप है। फिलहाल वो जेल में हैं, लेकिन उनके समर्थक मानते हैं कि वे राजनीति से बाहर नहीं हुए हैं। अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद मोकामा की चुनावी तस्वीर पूरी तरह बदल गई। ऐसी भी माना जा रहा है कि जेल जाना इस चुनाव में अनंत सिंह के पक्ष में ही जाएगा।

करीब 20 सालों से अनंत सिंह और उनका परिवार इस सीट पर प्रभावशाली रहा है, जहां उनका दबदबा ताकत और जनसंपर्क दोनों पर टिका रहा। उनके जेल जाने के बाद विरोधियों को प्रचार का मौका मिला और विपक्ष का जोश बढ़ गया।

इधर, उनकी पत्नी नीलम देवी ने तुरंत मोर्चा संभाल लिया। स्थानीय सांसद और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह जैसे नेता भी उनके समर्थन में उतरे और कहा, “हर उम्मीदवार को इस चुनाव में अनंत सिंह की तरह लड़ना होगा।”


अनंत समर्थक इस केस को राजनीतिक साजिश बता रहे हैं। उन्हें भरोसा है कि जैसे पहले दो बार उन्होंने जेल में रहते चुनाव जीता था, वैसा ही इस बार भी होगा।

जातीय समीकरण और सरकार का संदेश

मोकामा की राजनीति में जातीय समीकरण बहुत अहम हैं। अनंत सिंह भूमिहार समुदाय से आते हैं, जबकि मारे गए दुलार चंद यादव यादव (OBC) समुदाय के थे। यहां यादव, ओबीसी और दलित वोट मिलकर निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

पुलिस ने अनंत सिंह के करीबी दो साथियों- मणिकांत ठाकुर (OBC) और रंजीत राम (दलित) को भी गिरफ्तार किया। इससे सरकार ने ये संदेश दिया कि कार्रवाई जाति देखकर नहीं, सब पर बराबर हो रही है। साथ ही इससे विपक्ष की “सवर्ण बनाम पिछड़ा” वाली कहानी भी कमजोर पड़ी।

विपक्ष की रणनीति और वोटों की खींचतान

महागठबंधन के नेताओं ने आरोप लगाया कि ये गिरफ्तारी राजनीतिक दबाव में की गई है। उनका कहना है कि इस हत्या से सरकार की ‘जंगलराज खत्म करने’ की नाकामी साफ दिखती है। कुछ नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार इस केस के बहाने दलित और पिछड़े वर्गों को निशाना बना रही है।

अनंत सिंह की FIR में धनुक समाज के लोगों के नाम आने से मामला और भी पेचीदा हो गया है। धनुक समुदाय के नेता और जन सुराज पार्टी के प्रत्याशी पियूष प्रियदर्शी उसी दौरान प्रचार कर रहे थे, जब दुलार यादव की हत्या हुई।

धनुक वोटर अब तक JDU के पक्के समर्थक माने जाते थे, लेकिन यह घटना वोटों में बंटवारा ला सकती है, खासकर जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मोकामा दौरे पर आने वाले हैं।

जेल से चुनावी फायदा

गिरफ्तारी के बाद अनंत सिंह के समर्थक उन्हें राजनीतिक शहीद बताने में जुट गए हैं। उनका कहना है कि सरकार ने उन्हें साजिश के तहत फंसाया है। अब उनकी पत्नी नीलम देवी ही पूरे जोश से प्रचार कर रही हैं और उन्हें अपने पति की “लड़ाई का चेहरा” बना दिया गया है। इससे चुनाव इज्जत और जातीय गर्व की लड़ाई बन गया है।

सरकार के लिए भी यह कदम दोहरा फायदा लेकर आया- एक ओर कानूनी निष्पक्षता का संदेश, दूसरी ओर अनंत सिंह के नेटवर्क को कमजोर करना।

उनकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी हैं वीणा देवी, जो दूसरे बाहुबली सुरजभान सिंह की पत्नी हैं। यानी मोकामा की लड़ाई सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि शक्ति और विरासत की जंग बन गई है।

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