बिहार की सियासत में इस बार एक नया चैप्टर जुड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। लंबे समय से जाति और पारंपरिक वोट पैटर्न पर आधारित राजनीति के बीच अब बदलाव की हवा चल रही है। 2025 के विधानसभा चुनाव में कई उम्मीदवार ऐसे हैं जो डॉक्टर, इंजीनियर, वकील और प्रोफेसर जैसे प्रोफेशन से आते हैं। यहां तक कि एक उम्मीदवार डी.लिट डिग्री धारक भी है। यह इशारा है कि प्रदेश में मतदाता और राजनीतिक पार्टियां अब पढ़े-लिखे और सक्षम चेहरों को तवज्जो दे रही हैं और विकास व योग्यता आधारित राजनीति की ओर रुझान बढ़ रहा है।
चुनावी मैदान में इस बार उतरें हैं इतने एजुकेटेड प्रत्याशी
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की बात करें तो इस चुनाव में लगभग सभी बड़े दल- चाहे जेडीयू हो, आरजेडी, बीजेपी या जन सुराज ने उम्मीदवार चुनते समय शिक्षा और प्रोफेशनल बैकग्राउंड को महत्वपूर्ण माना है। इस बार विधानसभा मैदान में कुल मिलाकर 12 इंजीनियर, 5 डॉक्टर, 17 वकील और 12 पीएचडी डिग्री वाले प्रत्याशी उतर चुके हैं। राजनीतिक दलों का ये फैसला दिखाता है कि, चुनावी मैदान और राजनीति में पढ़े-लिखे चेहरों की भूमिका मजबूत हो रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पिछले कुछ सालों में बिहार के युवाओं ने बार-बार यह सवाल उठाया कि राज्य की राजनीति में अधिक पढ़े-लिखे और सक्षम लोग क्यों नहीं आते। यही वजह है कि अब पार्टियां उम्मीदवारों की शैक्षणिक और प्रोफेशनल पृष्ठभूमि पर खास ध्यान दे रही हैं। इस बार चुनाव में नए चेहरे भी हैं और अनुभव वाले नेता भी। अगर ये शिक्षित उम्मीदवार विधानसभा तक पहुंचते हैं, तो वे आने वाले समय में बिहार की राजनीति की दिशा बदल सकते हैं। अब देखना होगा कि जनता किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है और किस सोच को आगे बढ़ाती है।
यहां से चुनाव लड़ रहे हैं डॉक्टर्स
डॉक्टर पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों में भी इस बार खास नाम शामिल हैं। बिहारशरीफ से बीजेपी के डॉ. सुनील कुमार, परसा से आरजेडी की डॉ. करिश्मा और परबत्ता से आरजेडी के डॉ. संजीव कुमार मैदान में हैं। ये उम्मीदवार चुनाव में स्वास्थ्य क्षेत्र के अपने अनुभव को जनता के भरोसे में बदलने की कोशिश करेंगे। कई पढ़े-लिखे उम्मीदवारों का कहना है कि वे विकास और नीतियों में आधुनिक सोच और तकनीकी समझ लेकर आएंगे। उदाहरण के तौर पर इस्लामपुर से जेडीयू के रुहेल रंजन, कांटी से अजीत कुमार, उजियारपुर से आरजेडी के आलोक मेहता और साहेबगंज से बीजेपी के राजू कुमार सिंह चुनाव में उतर रहे हैं।
LLB और Phd धारक भी हैं प्रत्याशी
एलएलबी डिग्री वाले 17, पीएचडी रखने वाले 12 और डी.लिट जैसे उच्चतम अकादमिक सम्मान वाले 3 प्रत्याशी इस बार मैदान में हैं। इनमें केवटी से मुरारी मोहन झा जैसे अनुभवी नेता भी शामिल हैं। इतने शिक्षित और विशेषज्ञ उम्मीदवारों का चुनावी दंगल में उतरना इस बात का संकेत है कि बिहार की राजनीति अब नए सोच और ज्ञान-आधारित नेतृत्व की ओर बढ़ रही है। बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा भी इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं। वे मुजफ्फरपुर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक कर चुके हैं। इस चुनाव में वे लखीसराय विधानसभा सीट से अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं।
बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी भी इस चुनाव में तारापुर सीट से किस्मत आजमा रहे हैं। वे कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से डी.लिट की डिग्री होने की बात कहते हैं, हालांकि उनकी इस डिग्री को लेकर कुछ सवाल भी उठाए जा रहे हैं। सीपीआई (एमएल) की प्रत्याशी दिव्या गौतम, जो अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की चचेरी बहन हैं, दीघा सीट से चुनाव लड़ रही हैं। वे रंगमंच से जुड़ी रही हैं और शिक्षण के क्षेत्र में भी कार्यरत हैं। दिव्या ने पत्रकारिता और मास कम्युनिकेशन में पोस्टग्रेजुएशन किया है और यूजीसी नेट भी पास किया है।