एक गैस सिलेंडर डिलीवरी करने वाला व्यक्ति भले ही पहली नजर में नेता बनने के लिए अजीब लगे, लेकिन छोटे लाल महतो की लोगों की सेवा करने की चाह हर चुनाव में उन्हें उम्मीदवार बना देती है। बिहार के किशनगंज के रहने वाले महतो पिछले 20 सालों से हर लोकसभा और बिहार विधानसभा चुनाव में खड़े होते आ रहे हैं। उनका सपना है- एक दिन सांसद या विधायक बनना। कई बार हारने के बावजूद उनका हौसला आज भी कायम है।
अब जब बिहार में 6 और 11 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, तो महतो फिर से मैदान में हैं।
NDTV के मुताबिक, अपनी पहली असफलता को याद करते हुए महतो बताते हैं, “साल 2000 में जब मैं 23 साल का था, तब पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए नामांकन भरा था, लेकिन उम्र कम होने की वजह से नामांकन रद्द हो गया।”
इसके बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने नगर निकाय चुनावों में भी हिस्सा लिया और सीमांचल के गांधी कहे जाने वाले दिवंगत तस्लीमुद्दीन और पूर्व केंद्रीय मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन जैसे बड़े नेताओं के खिलाफ भी चुनाव लड़ा।
महतो कहते हैं, “मैं 2004 से लगातार चुनाव लड़ रहा हूं। अभी तक जीता नहीं हूं, लेकिन कभी हार नहीं मानी। इस बार भी मैं निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में हूं।”
वो बताते हैं, “लोग मुझसे बहुत प्यार करते हैं। लोग खुद चंदा देकर मेरा चुनाव लड़ने में मदद करते हैं। मैं घर-घर सिलेंडर पहुंचाता हूं, इसलिए लोग मुझे अपना मानते हैं। इस बार जनता मुझे जरूर जिताएगी।”
पैसों की कमी से निपटने के लिए महतो और उनके परिवार ने हमेशा नई-नई तरकीबें निकालीं। उनकी पत्नी ने कई बार बकरियां, मुर्गियां और अंडे बेचकर चुनाव खर्च में मदद की। पत्नी कहती हैं, “वो हमेशा लोगों की मदद करते हैं, अब जनता उन्हें मौका जरूर देगी।”
महतो का कहना है कि वो जब तक जिंदा हैं, चुनाव लड़ते रहेंगे। उनका मकसद राजनीति नहीं, सेवा है। वो कहते हैं, “अगर मैं जीत गया, तो गरीबों के आंसू पोंछने के साथ-साथ इलाके के विकास और रोजगार पर काम करूंगा।”