Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले नेताओं के दलबदल का सिलसिला तेज हो गया है। इसी कड़ी में गुरुवार (9 अक्टूबर) को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी JDU को एक और बड़ा झटका लगा है। बिहार सरकार के पूर्व मंत्री लक्ष्मेश्वर राय ने जनता दल यूनाइटेड (JDU) का दामन छोड़ RJD का हाथ थाम लिया है। उन्होंने खुद इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि अब वे लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजनीति करेंगे और बिहार के विकास के लिए काम करेंगे।
लक्ष्मेश्वर राय लौकहा विधानसभा सीट से JDU के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे। हालांकि, पिछले विधानसभा चुनाव में वे RJD उम्मीदवार भारत भूषण मंडल से हार हार गए थे। उस समय भाजपा के पूर्व प्रत्याशी प्रमोद प्रियदर्शी ने बगावत कर लोजपा से चुनाव लड़ा था, जिससे JDU का वोट बैंक बंट गया और लक्ष्मेश्वर राय को हार का सामना करना पड़ा। यह सीट JDU के लिए हमेशा से अहम मानी जाती रही है, क्योंकि यहां नीतीश कुमार का सीधा प्रभाव माना जाता है।
बीते कुछ महीनों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस क्षेत्र का दो बार दौरा किया था। हाल ही में पूर्व मंत्री हरि साह की प्रतिमा अनावरण समारोह में जब नीतीश कुमार वहां पहुंचे थे, तब लक्ष्मेश्वर राय ने इशारों में कहा था कि अगर उन्हें टिकट नहीं मिला, तो वे पार्टी छोड़ सकते हैं। उस समय JDU ने उनके इस बयान को राजनीतिक दबाव बताकर नजरअंदाज कर दिया था।
सूत्रों के मुताबिक, टिकट बंटवारे को लेकर JDU नेतृत्व के साथ कई दौर की बातचीत हुई। लेकिन सहमति नहीं बन पाई। राय चाहते थे कि पार्टी उन्हें लौकहा सीट से उम्मीदवार घोषित करे, लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने इस पर कोई आश्वासन नहीं दिया। इसी बीच पटना में सीट फाइनल होने की चर्चा तेज हुई और इसी दौरान लक्ष्मेश्वर राय ने JDU से त्यागपत्र देकर RJD में शामिल होने का फैसला कर लिया।
राजनीतिक हलकों में यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि लक्ष्मेश्वर राय बाबूबरही विधानसभा सीट से RJD के टिकट पर चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। हालांकि, अभी तक RJD की ओर से इस पर आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही नेताओं के पाला बदलने का दौर तेजी से जारी है। जहां एक ओर NDA और महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर खींचतान जारी है। वहीं दूसरी ओर कई नेता अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने के लिए पार्टी बदल रहे हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि लक्ष्मेश्वर राय का यह कदम JDU के लिए कितना नुकसानदायक साबित होता है और RJD के लिए कितना फायदेमंद।