Bihar Chunav 2025: जब 7 दिन में ही नीतीश कुमार को छोड़नी पड़ी कुर्सी, साल 2000 में पहली बार बने थे CM

Bihar Elections 2025: साल 2000 में बिहार के मुख्यमंत्री पद से नीतीश कुमार का इस्तीफा एक न भूलने वाली घटना है, जो राज्य के शीर्ष राजनीतिक पद पर उनके पहले कार्यकाल का प्रतीक है। फरवरी 2000 के बिहार विधानसभा चुनावों के बाद, 324 सदस्यों वाले सदन में किसी भी पार्टी या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला

अपडेटेड Nov 03, 2025 पर 7:27 PM
Story continues below Advertisement
Bihar Chunav 2025: जब 7 दिन में ही नीतीश कुमार को छोड़नी पड़ी कुर्सी, साल 2000 में पहली बार बने थे CM

बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार का अध्याय एक बदलाव के दौर के रूप में याद किया जाता है। जनता के बीच जहां वे 'सुशासन बाबू' के नाम से जाने जाते हैं, तो विपक्षी दल उन्हें 'पलटू राम या पलटू चाचा' भी कहते हैं। ये एक सच है कि जोड़-तोड़ कर सत्ता की कमान अपने हाथ में बनाए रखना नीतीश कुमार से बेहतर तो कोई नहीं जान सकता, लेकिन ये वही नीतीश कुमार हैं, जिन्होंने जोड़-तोड़ की राजनीति से ही नाराज होकर मुख्यमंत्री के अपने पहले ही कार्यकाल में महज सात दिनों में इस्तीफा दे दिया था।

साल 2000 में बिहार के मुख्यमंत्री पद से नीतीश कुमार का इस्तीफा एक न भूलने वाली घटना है, जो राज्य के शीर्ष राजनीतिक पद पर उनके पहले कार्यकाल का प्रतीक है। फरवरी 2000 के बिहार विधानसभा चुनावों के बाद, 324 सदस्यों वाले सदन में किसी भी पार्टी या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला।

दोनों पक्ष बहुमत के 163 के आंकड़े से पीछे


BJP और समता पार्टी (जिसके उस समय नीतीश कुमार सदस्य थे) के नेतृत्व वाले NDA को 151 विधायकों का समर्थन हासिल था, जबकि लालू प्रसाद यादव की RJD और कांग्रेस के पास 159 विधायक थे। दोनों पक्ष बहुमत के 163 के आंकड़े से पीछे थे।

3 मार्च 2000 को, नीतीश कुमार को पूर्ण बहुमत न होने के बावजूद, वाजपेयी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के समर्थन से मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। यह नियुक्ति खासतौर से BJP नेताओं लालकृष्ण आडवाणी और जॉर्ज फर्नांडीस की देखरेख में हुई थी। इसका उद्देश्य लालू प्रसाद यादव के शासन को खत्म करके बिहार में NDA के नेतृत्व वाली सरकार बनाना था।

बहुमत साबित करने से पहले ही दिया इस्तीफा

हालांकि, उनकी सरकार शुरू से ही अस्थिर थी, क्योंकि दोनों गठबंधन तेज राजनीतिक पैंतरेबाजी और कांग्रेस विधायकों को लुभाने के प्रयासों में लगे हुए थे।

विधानसभा में बहुमत साबित न कर पाने की हकीकत का सामना करते हुए, नीतीश कुमार ने 10 मार्च, 2000 को यानी मुख्यमंत्री बनने के सिर्फ सात दिन बाद विश्वास मत का सामना किए बिना ही इस्तीफा दे दिया। राज्यपाल ने उन्हें बहुमत साबित करने को कहा था, लेकिन संख्याबल उनके पक्ष में न होने के कारण नीतीश ने पहले ही इस्तीफा दे दिया।

जोड़-तोड़ के खिलाफ थे नीतीश कुमार

JDU के वरिष्ठ नेता बताते हैं कि जैसे-तैसे नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार तो बना ली गई, लेकिन नीतीश जोड़-तोड़ और विधायकों की खरीद फरोख्त के सख्त खिलाफ थे। नीतीश ने जोड़-तोड़ करने से भी मना कर दिया और इसलिए उन्होंने बहमत साबित किए बिना ही इस्तीफा देना सही समझा।

इसके बाद लालू प्रसाद यादव एक्टिव हुए और राष्ट्रीय जनता दल ने सरकार बनाई। राबड़ी देवी को फिर से मु्ख्यमंत्री बनाया गया और ये सरकार पूरे पांच साल चली।

भयंकर राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के बीच बनी नीतीश की इस सात दिन की सरकार ने बिहार की राजनीति में भविष्य के कई बड़े घटनाक्रमों के लिए मंच तैयार किया। इसने नीतीश कुमार की लंबी और जटिल राजनीतिक यात्रा की शुरुआत भी की, जिसमें बाद के सालों में गठबंधन निर्माण, गठबंधन में बदलाव और शासन सुधार शामिल थे।

Bihar Chunav 2025: सिर्फ 5 दिन के लिए बने मुख्यमंत्री, कहानी बिहार के पहले OBC CM सतीश प्रसाद सिंह की

 

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।